अमेरिका के न्यूयॉर्क में 9 साल बाद मिला पोलियो का मामला, शख्स का नहीं हुआ था टीकाकरण

Sunday, Jul 24, 2022 - 11:11 AM (IST)

न्यूयार्कः अमेरिका में वर्ष 2013 के बाद न्यूयॉर्क के स्वास्थ्य अधिकारियों ने  इस साल 21 जुलाई को पोलियो संक्रमण का मामला मिलने का ऐलान  किया। हालांकि इस अमेरिकी नागरिक का टीकाकरण नहीं किया गया था। बीसवीं शताबदी के मध्य में सुरक्षित और असरदार टीके की खोज से पहले बच्चों में लकवा की बीमारी का आम कारण पोलियो था। लेकिन वैश्विक टीकाकरण अभियान के कारण आज पोलियो का काफी हद तक उन्मूलन हो चुका है। वर्ष 2022 में आज की तारीख तक दुनियाभर में वाइल्ड पोलियो वायरस के केवल 13 मामले दर्ज किए गए। न्यूयॉर्क का पोलियो संक्रमित व्यक्ति कथित तौर पर उस प्रकार के पोलियो वायरस के संपर्क में आया जो कमजोर है और जिसका इस्तेमाल पोलियो रोधी टीका बनाने में किया गया।

 

लेकिन इस तरह के टीके का इस्तेमाल अमेरिका में वर्ष 2000 के बाद से नहीं किया गया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि यह वायरस उन पुरुष रोगियों को प्रभावित करता है, जिन्हें मांसपेशियों में कमजोरी और लकवा की समस्या है। संभवतः इस प्रकार का पोलियो वायरस किसी बाहरी देश में उत्पन्न हुआ होगा, जहां अब भी टीके पिलाए जाते हैं।  संक्रामक रोग विशेषज्ञ   और विश्व स्वास्थ्य संगठन की पोलियो अनुसंधान समिति के अध्यक्ष विलियम पेट्री बताते हैं कि टीका के कारण उत्पन्न पोलियो वायरस क्या है और क्यों आज अमेरिका में लगाए जा रहे निष्क्रिय वायरस आधारित पोलियो टीके ऐसे वायरस उत्पन्न होने का कारण नहीं बनते।

 

पोलियो टीके के दो प्रकार?
टीकाकरण के माध्यम से वायरस के नुकसानदेह प्रकार को शरीर के अंदर प्रवेश कराया जाता है। इसके पीछे विचार यह है कि शरीर को वास्तविक वायरस से लड़ने के लिए प्रशिक्षित कर दिया जाये, ताकि यदि असल वायरस का संक्रमण हो तो शरीर उससे मुकाबला कर सके। पिलाया जाने वाला पोलियो टीका, मूल रूप से अल्बर्ट सेबिन द्वारा विकसित, बनाने में एक जीवित पर कमजोर पोलियो वायरस का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरी तरह के पोलियो टीके को मूल रूप से जोनास साल्क द्वारा विकसित किया गया। इस टीके में निष्क्रिय और मृत वायरस का इस्तेमाल किया जाता है, और इसे इंजेक्शन की मदद से लगाया जाता है। अमेरिका में बच्चों को दो, चार और छह महीने की उम्र पर निष्क्रिय पोलियो टीका लगाया जाता है, जो लकवा देने वाले पोलियो वायरस से लगभग पूरी सुरक्षा प्रदान करता है।  

 

अब सिर्फ  पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ही पाए जा रहे केस
जबरदस्त वैश्विक प्रयास की बदौलत पोलियो बीमारी देने वाले तीन में से दो वायरस खत्म हो गए हैं। दुनिया अब आखिरी वाइल्ड पोलियो वायरस-1 को खत्म करने की कगार पर है। स्थानीय स्तर पर पोलियो संक्रमण केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पाया जाता है। पाकिस्तान में जहां 2022 में लकवाग्रस्त पोलियो के 12 मामले मिले, अफगानिस्तान में इस वर्ष पोलियो का केवल एक मामला मिला। एक बार वाइल्ड पोलियो वायरस के धरती से समाप्त हो जाने पर हम निष्क्रिय पोलियो वायरस पर आधारित टीका लगाने में सक्षम हो सकते हैं, ताकि भविष्य में पोलियो टीके के कारण पोलियो वायरस के उत्पन्न होने की संभावना को समाप्त किया जा सके। 

Tanuja

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