पनामा पेपर लीक: नवाज शरीफ दोषी करार, पीएम पद से बर्खास्त

Friday, Jul 28, 2017 - 01:42 PM (IST)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सर्वाेच्च न्यायालय ने पनामागेट मामले में आज प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद के अयोग्य ठहरा दिया तथा उनके मामले को सुनवाई के लिए भ्रष्टाचार रोधी अदालत के पास भेज दिया। सर्वाेच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति के अपने फैसले में आदेश दिया कि शरीफ के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए तथा यह भी कहा कि शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ मामले को जवाबदेही अदालत के पास भेजा जाए। शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (नैब) छह महीने के भीतर मामले का निपटारा करेगा।  इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने शरीफ को पद के अयोग्य ठहरा दिया। 


न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री ससंद एवं अदालतों के प्रति ईमानदार नहीं रहे और उनको पद के लिए उपयुक्त नहीं समझा जा सकता। यह फैसला उसी पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया जिसने इस साल जनवरी से मामले की सुनवाई की थी। पीठ में न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा, न्यायमूर्ति एजाज अफजल खान, न्यायमूर्ति गुलजार अहमद और न्यायमूर्ति शेख अजमत सईद और न्यायमूर्ति एजाजुल अहसन हैं।  न्यायमूर्तिखान ने सर्वाेच्च न्यायालय के कोर्ट नंबर-एक में फैसला पढ़कर सुनाया।  


क्या है मामला?
यह मामला 1990 के दशक में उस वक्त धनशोधन के जरिए लंदन में सपंत्तियां खरीदने से जुड़ा है जब शरीफ दो बार प्रधानमंत्री बने थे।  शरीफ के परिवार की लंदन में इन संपत्तियों का खुलासा पिछले साल पनामा पेपर्स लीक मामले से हुआ। इन संपत्तियों के पीछे विदेश में बनाई गई कंपनियों का धन लगा हुआ है और इन कंपनियों का स्वामित्व शरीफ की संतानों के पास है।  इन संपत्तियों में लंदन स्थित चार महंगे फ्लैट शामिल हैं। वह पाकिस्तान के सबसे रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया हैं।  

रिकार्ड तीन बार बने पाकिस्तान के PM
सर्वाेच्च न्यायालय के फैसले का पूरी उत्सुकता के साथ इंतजार किया जा रहा था क्योंकि शरीफ के पिछले दो कार्यकाल तीसरे साल में खत्म हो गए थे। इस्पात कारोबारी-सह-राजनीतिज्ञ शरीफ पहली बार 1990 से 1993 के बीच प्रधानमंत्री रहे। उनका दूसरा कार्यकाल 1997 में शुरू हुआ जो 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्फ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद खत्म हो गया। 

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