अफगान-पाक में बढ़ा तनावः जनरल मुनीर ने लिया खूनी बदला, तालिबान संस्‍थापक के बेटे को पाकिस्‍तान में  मारा

punjabkesari.in Saturday, Mar 01, 2025 - 02:59 PM (IST)

Islamabad: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा जिले में स्थित कुख्यात मदरसा *दारुल उलूम हक्कानिया  में हुए आत्मघाती हमले में तालिबान के संस्थापक माने जाने वाले दिवंगत मौलाना सामी उल हक के बेटे मौलाना हामिद उल हक की हत्या कर दी गई। यह हमला शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुआ, जिसमें हामिद उल हक के अलावा उनके पांच करीबी लोग भी मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP)  ने ली है, जो हाल के दिनों में पाकिस्तान के इशारे पर तालिबान को निशाना बना रहा है। तालिबान ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे "कायराना हरकत" और "बड़ी क्षति" करार दिया है।  
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान और तालिबान के बीच संबंध बेहद खराब हो चुके हैं।


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सीमा पर स्थित डूरंड लाइन पर लगातार झड़पें हो रही हैं और दोनों देशों की सेनाओं ने भारी हथियारों के साथ मोर्चा संभाल लिया है। कई विश्लेषक इस हत्याकांड को पाकिस्तान और तालिबान के बढ़ते टकराव से जोड़कर देख रहे हैं। वहीं, कुछ का मानना है कि इस हमले को *ISKP* आतंकियों ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी *ISI* के इशारे पर अंजाम दिया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर विस्फोटकों से भरा जैकेट पहने हुए था। जैसे ही मौलाना हामिद उल हक मस्जिद जाने के लिए बाहर निकले, हमलावर उनके पास पहुंचा और खुद को उड़ा लिया। धमाके में मौलाना हक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 24 अन्य लोग घायल हो गए। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले की निंदा की है।  

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यह मदरसा अफगान सीमा से जुड़ी मुख्य सड़क पर स्थित है और इसे दशकों से तालिबान आतंकियों के सबसे बड़े ट्रेनिंग सेंटर के रूप में जाना जाता है। 1990 के दशक में, यह मदरसा तालिबान आंदोलन के लिए लॉन्चपैड की तरह था, और आज भी इसे कट्टरपंथियों का गढ़ माना जाता है। इस हमले से ठीक पहले, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने तालिबान सरकार की आलोचना की थी। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि तालिबानी सेना *तोरखम बॉर्डर* के पास एक सैन्य चौकी बना रही थी, जिसे लेकर दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हुई और सीमा को बंद कर दिया गया। इस तनाव के बीच पाकिस्तान को डर सता रहा है कि तालिबान के पास अब वे अमेरिकी हथियार हैं, जो 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद उसके हाथ लगे थे।  


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Content Writer

Tanuja

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