Report: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए बढ़े ईशनिंदा के मामले

Saturday, Jul 23, 2022 - 06:10 PM (IST)

इस्लामाबादः सेंटर फार रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में एक बार फिर ईशनिंदा के मामले बढ़ने लगे हैं। यहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियों को  नियमित तौर पर निशाना बनाया जा रहा है।  इसी माह कराची के माल में हुई ऐसी घटना ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था।  दरअसल यह विरोध पाकिस्तान के कराची के एक माल में स्थापित वाई फाई डिवाइस से कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के साथियों के खिलाफ टिप्पणी करने के बाद शुरू हुआ था। माल में लगे वाइ-फाइ डिवाइस को निकालने के विरोध में वहां व्यापक प्रदर्शन हुआ था।  

 

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए हमेशा ईशनिंदा कानून का उपयोग किया जाता है। तानाशाह जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया। पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया। पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है। 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जिसका विस्तारित रूप आज का पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून है।अमेरिकी सरकार के सलाहकार पैनल की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के किसी भी देश की तुलना में पाकिस्तान में सबसे अधिक ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान में इसका सबसे ज्यादा दुरुपयोग होता है।

 

दरअसल ईशनिंदा कानून अंग्रेजों ने 1860 में बनाया था। इसका मकसद धार्मिक झगड़ों को रोकना और एक-दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान को कायम रखना था। दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने या धार्मिक मान्यताओं या धार्मिक आयोजनों का अपमान करने पर इस कानून के तहत जुर्माना या एक से दस साल की सजा होती थी।   सेंटर फार रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टीज की  रिपोर्ट के मुताबिक 1947 तक भारत में ईशनिंदा के सात मामले सामने आए थे। 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान ने अंग्रेजों के इस कानून को जारी रखा जो 1980 से 1986 के बीच ज्यादा सख्त कर दिया गया।

 

Tanuja

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