पनामा लीक केस: मुश्किल में फंसे नवाज शरीफ

Friday, Oct 21, 2016 - 12:59 AM (IST)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पी.एम नवाज शरीफ की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। पीओके में भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद शरीफ सरकार दबाव में है। पनामा लीक केस में भी पाकिस्तान के पी.एम नवाज शरीफ की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस 
पाक मीडिया के मुताबिक पनामा लीक केस में पी.एम नवाज शरीफ को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके परिवार के सदस्यों को ‘पनामा पेपर्स’ लीक मामले में आज नोटिस जारी किया।कथित भ्रष्टाचार और विदेशों में अवैध रूप से संपत्ति रखने को लेकर उन्हें अयोग्य ठहराने की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फैसला दिया।

इनके खिलाफ भी जारी किया गया नोटिस
अदालत ने कई याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें इमरान खान के पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ की याचिका भी शामिल है। इन याचिकाओं में शरीफ और उनके परिवार के सदस्यों पर पनामा पेपर्स लीक में ब्रिटेन में संपत्ति दिखाए जाने के बाद अवैध रूप से धन विदेश स्थानांतरित करने के आरोप लगाए गए हैं।शरीफ के अलावा उनकी बेटी मरीयम, बेटे हसन और हुसैन, दामाद मुहम्मद सफदर, वित्त मंत्री इशाक डार, फेडरल जांच एजेंसी के महानिदेशक, फेडरल ब्यूरो ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन और अटॉर्नी जनरल के खिलाफ भी नोटिस जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ में प्रधान न्यायाधीश अनवर जहीर जमाली, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन और न्यायमूर्ति खिलजी आरिफ हुसैन शामिल हैं जिन्होंने प्रारंभिक सुनवाई के बाद मामले को दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया।

देर से मिले न्याय का कोई मतलब नहीं रहता: इमरान
शरीफ के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले को लड़ रहे क्रिकेटर से नेता बने खान अदालत में मौजूद थे।बाद में संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शरीफ राजा की भांति व्यवहार कर रहे हैं लेकिन वह उन्हें कानून के शिकंजे में घेरेंगे। इमरान खान ने कहा कि पिछले कई साल से हमें इंसाफ का इंतजार है। देर से मिले न्याय का कोई मतलब नहीं रहता है। लिहाजा अदालत को अपनी कार्रवाई तेजी से करनी चाहिए।बता दें कि इससे पहले भी अगस्त महीने में पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने  नवाज शरीफ को नोटिस भेजा था और 20 दिन के अंदर जवाब देने को कहा था।उल्लेखनीय है कि पनामा पेपर्स के नाम से लीक हुए दस्तावेजों को सामने लाने में मुख्य भूमिका अमरीका स्थित एक एनजीओ खोजी पत्रकारों के अंतर्राष्ट्रीय महासंघ (आइसीआइजे)ने अहम भूमिका निभाई थी।

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