चीन का कर्ज डुबा रहा पाकिस्तान की नैया, "CPEC" ने कर डाला कंगाल
punjabkesari.in Saturday, Aug 03, 2024 - 05:20 PM (IST)
बीजिंग: पाकिस्तान के हालात पर एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि चीन का 26 बिलियन डॉलर का कर्ज देश की नैया डुबा रहा औप 'CPEC प्रोजैक्ट इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को काफी हद तक CPEC ने कंगाल कर डाला है। मीडिया रिपोर्ट के जुलाई में पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बीच 7 बिलियन डॉलर के नए बेलआउट पैकेज की डील हुई है। इसके बाद एक बार फिर पाकिस्तान ने चीन के साथ अरबों डॉलर के कर्ज लौटाने से जुड़ी बातचीत शुरू कर दी है। बैठक में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण चीन को ऊर्जा क्षेत्र के ऋण में कम से कम 16 बिलियन डॉलर की देरी के साथ-साथ 4 बिलियन डॉलर के लिए अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव शामिल है।
पिछले सप्ताह पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब चीन गए थे। यहां उन्होंने अरबों डॉलर के पाकिस्तान चीन आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत चीनी कंपनियों की ओर से बनाए गए नौ पावर प्लांट्स के लिए कर्जे की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी। चीन और पाकिस्तान के बीच 2015 में CPEC का समझौता हुआ था। तब से यह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के सबसे बड़े घटकों में से एक बन गया। चीन ने पाकिस्तान में बुनियादी ढांचों के लिए अरबों डॉलर पानी की तरह बहाए हैं। CPEC प्रोजेक्ट का मूल्य 65 अरब डॉलर है। इसका लक्ष्य पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से चीन को सीधे जोड़ना है। लेकिन इसी प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए पावर प्लांट पाकिस्तान के लिए मुसीबत बन गए हैं।
DW की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में चीनी निवेश के विशेषज्ञ अजीम खालिद ने कहा, 'सरकारी कंट्रोल वाले पावर प्लांट बनाने की जगह पाकिस्तान ने चीनी कंपनियों को स्वतंत्र रूप से पावर प्लांट बनाने की इजाजत दी। लेकिन ऐसी डील की गई कि बिना बिजली इस्तेमाल किए आज आबादी को इसका भुगतान करना पड़ रहा है।' पाकिस्तानी न्यूज आउटलेट डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कैबिनेट मीटिंग में कहा कि उन्होंने चीनी सरकार को एक पत्र लिखकर ऋण रिप्रोफाइलिंग यानी पुनर्भुगतान का अनुरोध किया है। रिप्रोफाइलिंग ऋण रिस्ट्रक्चरिंग से अलग है। इसमें कर्जे की रकम में कटौती नहीं होती, बल्कि इसके भुगतान की तारीख बढ़ा दी जाती है। पाकिस्तान पर लगातार इस बात का दवाब है कि वह पावर कंपनियों मुख्य रूप से चीनी कंपनियों के साथ महंगे समझौते पर फिर से बातचीत करे।
2022 के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान पर 26.6 बिलियन डॉलर का चीनी कर्ज है, जो दुनिया के किसी भी अन्य देश से ज्यादा है। इस्लामाबाद की अर्थशास्त्री साफिया अफताब का कहना है कि चीनी ऋण पर ब्याज दरें लगभग 3.7 फीसदी हैं, जो रियायती नहीं कही जा सकती। उन्होंने कहा कि ये कर्जे बुनियादी ढांचे के लिए दिए गए थे, जो सैद्धांतिक रूप से रिटर्न देना शुरू कर देगा। लेकिन सरकार समय के हिसाब से प्रगति नहीं कर पा रही है। विश्लेषकों का कहना है कि CPEC ऋण शुरू में अंतरराष्ट्रीय ऋण के सबसे सस्ते विकल्प के तौर पर दिखाया गया था। लेकिन बाद में यह समझ आया कि उन्हें चुकाना उम्मीद से कहीं ज्यादा महंगा है। खालिद ने कहा, 'डील चीन को फायदा देने वाला है और इसे लेकर खराब तरीके से बातचीत की गई। जिसके परिणामस्वरूप परियोजना को लेकर बड़े-बड़े वादे पूरे नहीं हो पाए। सीपीईसी को पाकिस्तान और क्षेत्र के लिए एक गेम चेंजर कहकर तत्कालीन योजना मंत्री और उनकी टीम ने जनता और मीडिया को गुमराह किया था।' उन्होंने कहा कि चीन का कर्ज बहुत बड़ा है और इसकी तारीखों को बढ़ाते रहना एक अस्थायी विकल्प है।