पाकिस्तान में रोटी के लिए मारा-मारी, हालात और बिगड़ने के आसार

Wednesday, Jan 22, 2020 - 12:08 PM (IST)

इस्‍लामाबादः आतंकवाद को पोषित करने का खमियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है। पाक की अार्थिक हालात अब इतनी बिगड़ चुकी है कि लोग रोटी को तरस रहे हैं। आसमान छूती कीमतों से पाकिस्तान के लोग पहले से ही परेशान थे, अब यहां आटे की भी किल्लत हो गई है। कई शहरों में आटे की कीमत 70 रुपए प्रति किलो या उससे भी ज्यादा पहुंच चुकी है। पाकिस्तान के चारों प्रांतों सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में आटे के लिए मारामारी मची हुुई है।। खैबर पख्तूनख्वा में तो हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि नानबाइयों (नान बेचने वाली दुकानों) ने हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है।

नानबाइयों ने दुकानें की बंद
पाकिस्तान में आटे की कमी के चलते कई नानबाइयों ने अपनी दुकानें बंद कर दी हैं। सबसे ज्यादा खैबर पख्तूनख्वा प्रभावित है। पेशावर में ढाई हजार से ज्यादा नानबाइयां हैं। हालांकि इन दुकानों में से कई बंद हो चुकी हैं। दुकान मालिकों का कहना है कि 2013 में 170 ग्राम आटे से बनी नान की कीमत 10 रुपये तय की गई थी। इसे बढ़ाया नहीं गया, जबकि आटे की कीमत आसमान छू रही है। उनका कहना है कि दाम बढ़ाने चाहिए लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। वहीं सिंध में प्रशासन ने आटे की कीमत 43 रुपये प्रति किलो तय कर रखी है। लेकिन कई स्थानों यह 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है।

इमरान सरकार जिम्मेदार
पाकिस्तान की इमरान सरकार ने ऐसे कई फैसले लिए हैं, जिनके कारण देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। केंद्रीय सरकार के निर्यात के फैसले के चलते अब पाकिस्तान को नई फसल आने का इंतजार करना होगा। तभी हालातों में कुछ सुधार हो सकता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक सिंध में 20 मार्च तक और पंजाब में 15 अप्रैल तक गेहूं की नई फसल आने का अनुमान है।

हालात बिगड़ने के कारण
पाकिस्तान में उम्मीद के मुताबिक फसल नहीं हुई, बावजूद इसके पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार ने गेहूं का अत्यधिक निर्यात किया। साथ ही ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल और खराब मौसम के कारण भी आपूर्ति में व्यवधान पड़ा है। उस पर अफगानिस्तान के साथ लगती खुली सीमा से गेहूं की तस्करी के कारण भी लोगों को आटे और गेहूं के लिए परेशान होना पड़ रहा है। उस पर खराब प्रबंधन और सरकारी स्तर पर तालमेल की कमी ने कम आय वाले आबादी समूहों को संकट में डाल दिया है।

Tanuja

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