पाकिस्तान में आजादी दिवस पर लहराए गए काले झंडे, बच्चों ने राष्ट्रीय ध्वज लहराते लोगों पर किया हमला (Video)
punjabkesari.in Thursday, Aug 15, 2024 - 04:19 PM (IST)
Peshawar: पाकिस्तान में 14 अगस्त को उसका आजादी दिवस धूमधाम से मनाया गया । देशभर में बड़े-बड़े कार्यक्रम हुए, लेकिन खैबर पख्तूनख्वा के वजीरिस्तान से आई तस्वीरें पाकिस्तान की सरकार और नेताओं को हिला देने वाली हैं। खैबर पख्तूनख्वा के वजीरिस्तान में स्थानीय बच्चों ने स्वतंत्रता दिवस पर पाकिस्तानी झंडा लहराते लोगों पर हमला कर दिया और झंडे को फाड़ने की कोशिश की। इस दौरान, उन्होंने काले झंडे भी दिखाए, जो उनके विरोध का प्रतीक थे।
See what local children in #Waziristan in #Khyber Pakhtunkhwa Province are doing with Pakistan's flag on its #IndependenceDay. The Pashtuns are displaying black flags as they are fed up with atrocities being committed by #PakistanArmy. pic.twitter.com/kSPeFe39hW
— Ajay Kaul (@AjayKauljourno) August 14, 2024
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि कुछ लोग कार में पाकिस्तान का झंडा लहरा रहे हैं। इस दौरान क्षेत्र के कुछ बच्चे कार को घेर लेते हैं, काले झंडे दिखाते हैं और पाकिस्तानी झंडे को खींचने और फाड़ने की कोशिश करते हैं। वीडियो में दिखाया गया है कि यह घटना वजीरिस्तान की है। वीडियो शेयर करने वालों का कहना है कि पश्तून पाकिस्तान आर्मी के अत्याचारों से परेशान हैं और स्वतंत्रता दिवस पर विरोध व्यक्त कर रहे हैं।
खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के लोग लंबे समय से पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार इन क्षेत्रों के संसाधनों को छीनकर पंजाब के विकास में इस्तेमाल करती है। इस तरह के आरोप दशकों से लगाए जा रहे हैं और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री भी केंद्र सरकार के प्रति आक्रामक रुख अपना चुके हैं। पाकिस्तान सेना के एंटी-टेरर ऑपरेशन की योजना ने भी स्थानीय लोगों को नाराज किया है, क्योंकि उन्हें डर है कि सेना उनके घरों की तलाशी लेगी।
हाल ही में बलूचिस्तान में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए हैं। हजारों बलूच ग्वादर में इकट्ठा हुए और अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा। हालांकि, उन्हें ग्वादर जाने से रोका गया, फिर भी हजारों लोग इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बलूचों का आरोप है कि उनकी संख्या लगभग डेढ़ करोड़ है, फिर भी उन्हें मुख्यधारा से अलग रखा गया है और उनके प्राकृतिक संसाधनों की लूट हो रही है।