सिंध हाउस मामलाः पाक सुप्रीम कोर्ट ने इमरान सरकार को लगाई फटकार, 4 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी
Sunday, Mar 20, 2022 - 11:32 AM (IST)
इस्लामाबादः पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सिंध हाउस हमले को लेकर इमरान खान सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट नेयहां सिंध हाउस पर सत्तारूढ़ दल के समर्थकों के कथित हमले के मद्देनजर शनिवार को सरकार से सरकारी संस्थानों की रक्षा सुनिश्चित करने को कहा और चार राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया। प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से पहले ‘‘अराजकता जैसी'' स्थिति को रोकने के लिए शीर्ष अदालत के दखल को लेकर दायर याचिका पर न्यायालय ने यह कदम उठाया।
शीर्ष अदालत ने इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के मद्देनजर शुक्रवार को पार्टी समर्थकों द्वारा सिंध हाउस पर हमले के संबंध में रिपोर्ट सोमवार तक सौंपने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि याचिका पर रोजाना सुनवाई की जाएगी। प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल और न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर की पीठ ने ‘‘अराजकता जैसी'' स्थिति को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की याचिका पर सुनवाई की।
एससीबीए ने इस सप्ताह की शुरुआत में अविश्वास प्रस्ताव की शांतिपूर्ण कार्यवाही के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। पहले इस पर सोमवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन सिंध हाउस पर शुक्रवार को हुए हमले के कारण इस पर पहले ही सुनवाई का फैसला किया गया। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने पीठ को हमले की जानकारी दी। जब खान ने कहा कि पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें बाद में एक मजिस्ट्रेट ने रिहा कर दिया तो प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने कहा, ‘‘जो हो रहा है उससे हमें कोई सरोकार नहीं है। हम यहां संविधान को लागू कराने के लिए हैं।''
उन्होंने अटॉर्नी जनरल से यह भी पूछा कि क्या सार्वजनिक संपत्ति पर हमला जमानती अपराध है। संतोषजनक प्रतिक्रिया न मिलने पर उन्होंने टिप्पणी की कि संस्थाओं की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सार्वजनिक संपत्ति और राष्ट्रीय संस्थानों के लिए (शुक्रवार को) खतरा पैदा किया गया। (संसद के) सदस्यों और संस्थानों की संविधान के अनुसार रक्षा करनी चाहिए।'' न्यायालय ने यह भी कहा कि वह राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा बल्कि कानूनी मामलों को देखेगा। पीठ ने कहा, ‘‘सभी राजनीतिक दल कानून के अनुसार कार्य करेंगे। उन्हें ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो कानून के खिलाफ हो।''