PAK मीडिया में छाई कुलभूषण की गिरफ्तारी, नवाज शरीफ से पूछा- भारतीय जासूस पर चुप क्यों?

Sunday, Mar 27, 2016 - 01:13 PM (IST)

नई दिल्ली: पाकिस्तान में पकड़े गए कुलभूषण को वहां का मीडिया भारतीय जासूस बता रहा है। पाकिस्तानी उर्दू मीडिया में कथित भारतीय जासूस की गिरफ़्तारी छाई हुई है और इसके जरिए भारत पर फिर बलूचिस्तान में दख़ल देने के आरोप लगाए गए हैं।
''जंग'' ने लिखा कि पाकिस्तान पहले भी भारत के दख़ल के ठोस सबूत दे चुका है लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसी ''रॉ'' के एक बड़े एजेंट की गिरफ़्तारी के बाद इस बारे में कोई संदेह नहीं बचा है।

अखबार कहता है कि मुल्ज़िम का नाम कुलभूषण जाधव है और वो सलीम इमरान के नाम से खुफिया सरगर्मियां कर रहे थे। अख़बार का दावा है कि गिरफ्तारी के बाद कुलभूषण ने स्वीकार किया है कि वह भारतीय नौसेना में कमांडर रैंक का अफसर है और बलूचिस्तान के अलगाववादी नेताओं से उसके संपर्क हैं।
 

वहीं ''नवा-ए-वक़्त'' ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सचिव सरताज अजीज के इस बयान का ज़िक्र किया है कि ''रॉ के अफ़सर की गिरफ़्तारी का मामला भारत के साथ उठाया जाएगा।'' अखबार कहता है कि पाकिस्तान बनने के बाद से भारत पाकिस्तान में दख़लंदाजी करता रहा है और बलूचिस्तान में उसका जासूसी नेटवर्क है जहां से ट्रेनिंग हासिल कर दहशतगर्द बलूचिस्तान ही नहीं बल्कि कराची और दूसरे शहरों में भी घिनौनी कार्रवाई करते हैं।
 

''एक्सप्रेस'' कहता है कि इस बात को ख़ुद ''भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार किया है कि बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग करने में भारतीय सेना का हाथ था, इसलिए बलूचिस्तान में भारत की दख़लंदाजी शक और शुबहे से परे है और इस बात को अब सब जान गए हैं। अखबार लिखता है कि हैरानी वाली बात ये है कि अफ़ग़ानिस्तान जैसे छोटे से देश में भारत ने 15 कॉन्सुलेट बना रखे हैं जो उन शहरों में हैं जो पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए हैं।
 

वहीं ''दुनिया'' का कहना है कि ये बहुत अजीब है कि भारतीय जासूस की गिरफ़्तारी पर पाकिस्तान सरकार की तरफ़ से कोई बयान जारी नहीं हुआ है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ''कथित जासूस'' पहले नौ सेना में काम करते थे, पर अब उनका भारत सरकार से लेना-देना नहीं है। अखबार के मुताबिक़ अब तक न तो प्रधानमंत्री ने मुंह खोला है और न ही गृहमंत्री ने, जबकि ये लोग छोटी-छोटी बात पर उछल पड़ते हैं।
 

इसके अलावा ''जसारत'' ने पीपल्स पार्टी के सहअध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी के इस बयान पर संपादकीय लिखा है कि अगर भारत में अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति राष्ट्रपति बन सकता है तो पाकिस्तान में क्यों नहीं। भारतीय जासूस की खबरों के इसके अलावा पाक मीडिया में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर चप्पल फेंके जाने की कोशिश पर संपादकीय लिखा है। यह संपादकीय ''जदीद ख़बर'' में छपा है।

कन्हैया को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में जाने से रोके जाने पर अख़बार लिखता है कि कन्हैया कुमार इस देश का नागरिक है, देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन नेता है और उसे देश में कहीं भी जाने और भाषण देने का हक हासिल है। वहीं ''अवधनामा'' ने जम्मू कश्मीर में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर महबूबा मुफ़्ती की ताजपोशी की तैयारियों पर लिखा है कि ये यक़ीक़न एक अच्छी ख़बर है।

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