अफगान प्रवासियों का छलका दर्दः पाकिस्तान ही अफगानिस्तान के विनाश का कारण, आंतकी समूहों को दे रहा बढ़ावा

Wednesday, Jun 23, 2021 - 01:43 PM (IST)

काबुल: नीदरलैंड में निर्वासित अफगान प्रवासियों ने अफगानिस्तान से अमेरिकी व नाटो सैनिकों की वापसी के बीच बढ़ी हिंसा व पाकिस्तान की चालबाजी को लेकर अपना दर्द बयां किया है। अफगान प्रवासियों के एक समूह ने कहा कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की दोहरी रणनीति अभी भी चल रही है, जिससे डूरंड रेखा के दोनों ओर अफगानों को असहनीय पीड़ा सहनी पड़ रही है।  समूह  ने एक बयान में कहा कि “पाकिस्तानी सैन्य प्रमुखों ने तालिबान जैसे सहायक समूहों को आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया है। वे इस हस्तक्षेप को रणनीतिक गहराई कहते हैं।  पिछले कुछ दशकों में अफगान लोग क्षेत्रीय देशों और विश्व शक्तियों के लगातार छद्म युद्धों का शिकार हुए हैं। पाकिस्तान ने विशेष रूप से युद्ध को भड़काने में एक भयावह भूमिका निभाई है।

 

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का नार्को-माफिया, अल-कायदा और अन्य आतंकवादी समूहों के गठबंधन को स्पोर्ट अफगानिस्तान में अकल्पनीय मौतों और विनाश का कारण बना है। पाकिस्तान अफगानिस्तान में विभिन्न छद्म समूहों का निर्माण कर रहा है। उन्होंने कहा कि "हमारा मानना है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के समर्थन ने अल-कायदा जैसे आतंकी संहठन को जन्म दिया"अधिकांश अफगान इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वर्तमान युद्ध किसी भी उच्च मूल्यों के लिए नहीं लड़ा गया बल्कि  सत्ता के लिए पाकिस्तानी छद्म युद्ध है। इसलिए हम पाकिस्तान और उन देशों को जिम्मेदार ठहराते हैं जो अफगानिस्तान में युद्ध को भड़काने में पाकिस्तान का समर्थन करते हैं या उसकी उपेक्षा करते हैं। इस युद्ध को जारी रखना सभी अफगान, इस्लामी और मानवीय मूल्यों के खिलाफ है। दरअसल मक्का में इस्लामी विद्वानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान में युद्ध को अनैतिक और इस्लामी मूल्यों के खिलाफ बताया।

 

उन्होंने कहा कि हम नीदरलैंड में बसे अफगानी अफगानिस्तान में छद्म युद्ध का कड़ा विरोध करते हैं और पाकिस्तान से आह्वान करते हैं कि वह अफगानिस्तान में हस्तक्षेप की अपनी विनाशकारी नीति और पाकिस्तानी सेना के हितों के लिए हत्या और विनाश करने वाले प्रॉक्सी समूहों का समर्थन बंद करे।
हम तालिबान लड़ाकों से आह्वान करते हैं कि वे अपने नेताओं के झूठ से गुमराह न हों जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा नियंत्रित हैं  ! आइए हम बातचीत से अपने दुखों का समाधान करें। अब जब विदेशी ताकतें जा रही हैं  तो ये स्पष्ट है कि तालिबान का यह युद्ध जिहाद के लिए नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना के हितों के लिए था। अफगान सरकार और तालिबान को अपने मतभेदों को सुलझाना चाहिए कोई भी संघर्ष निर्दोष अफगानों की हत्या को उचित नहीं ठहरा सकता।

Tanuja

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