भारत के बाद इन देशों ने भी की नोटबंदी की कोशिश, जानिए क्या हुआ हाल
Friday, Sep 01, 2017 - 02:03 PM (IST)
नई दिल्ली: नोटबंदी को हथियार बनाकर भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर,2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी जिसके बाद 500 और 1000 के नोट बंद हो गए थे और माना जा रहा था कि इससे कालेधन और भष्ट्राचार पर लगाम कसी जा सकती है। नोटबंदी का असर भारत में देखने को भी मिला। कई लोगों ने तो सड़कों पर ऐसे ही नोट फेंक दिए और कईयों ने नोटों को पानी में बहा दिया।
भारत की तरफ से नोटबंदी की घोषणा करने के एक महीने बाद ही दिसंबर में 3 देशों पाकिस्तान,ऑस्ट्रेलिया और वेनेजुएला ने नोटबंदी करने की कोशिश की लेकिन उनके देश इसमें सफल नहीं हो पाए।लेकिन जिस तरीके से भारत में नोटबंदी को लोगों का साथ मिला, इन देशों में स्थिति कुछ अलग रही।
पाक ने की कोशिश
पाकिस्तान की बात करें तो ये भारत की नकल किए बिना नहीं रह सकता। पाकिस्तान की संसद में दिसंबर में 1000 और 5000 पाकिस्तानी रुपए के नोट बंद करने का एक प्रस्ताव लाया गया। भारत का उदाहरण देते हुए सांसद उस्मान सैफुल्लाह खान ने यह प्रस्ताव संसद में पेश करते हुए कहा था कि इन नोटों को बंद करने से कालेधन पर लगाम कसने में मदद मिलेगी। लेकिन आम जनता की तरफ से इसका विरोध शुरू होने के एक हफ्ते बाद ही तत्कालीन पाक वित्त मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने साफ किया कि सरकार किसी भी ऐसे प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही और ये नोट बंद नहीं हो रहे।
वेनेजुएला ने की कोशिश
भारत और पाकिस्तान की तरह ही वेनेजुएला ने भी दिसंबर महीने में नोट बैन की घोषणा की। वेनेजुएला सरकार ने 100 बॉलिवर के नोट्स को बंद करने की घोषणा कर दी। सरकार के इस फैसले का बड़े स्तर पर विरोध शुरू होने के बाद वेनेजुएला सरकार ने नोटबंदी का फैसला वापस ले लिया।
ऑस्ट्रेलियाई सरकार की बीच में ही रह गई योजना
भारत में नोटबंदी के एक महीने बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी 100 डॉलर के नोट बैन करने पर विचार किया। ऑस्ट्रेलिया की रेवेन्यू मिनिस्टर केली ओ'डॉयर ने मीडिया से कहा था कि सर्कुलेशन में 100 डॉलर के नोटों की संख्या काफी ज्यादा है और टास्क फोर्स 100 डॉलर के नोट बैन करने और कैश ट्रांजैक्शन कम करने पर विचार करेगी। हालांकि अभी वहां नोटबंदी नहीं की गई है। ऑस्ट्रेलिया में 100 डॉलर के नोट बंद करने की खबर फैलने के बाद भारत आने वाले एनआरआई को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसको देखते हुए भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त हरिंदर सिद्धु ने एक बयान जारी कर साफ किया कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है।