पाक को तेल खजाना मिलने का सपना चकनाचूर, सदमे में इमरान खान
punjabkesari.in Tuesday, May 07, 2019 - 04:39 PM (IST)
इस्लामाबादः विशालकाय तेल खजाने को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का बड़ा सपना टूटता नजर आ रहा है। पाकिस्तान के कराची के समुद्री तटों पर केकरा-1 क्षेत्र में खुदाई बिल्कुल अंतिम चरण में पहुंच गई है लेकिन उससे कुछ हासिल होता नजर नहीं आ रहा है। हालांकि, पाकिस्तान के अधिकारी अभी भी जनता और दुनिया को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल पाकिस्तान को यहां एशिया के सबसे बड़े तेल और गैस भंडार मिलने की उम्मीद थी लेकिन खुदाई के अंतिम चरण में भी कुछ हासिल न होने पर इमरान खान सदमे में हैं और देश को आर्थिक मजबूती की और ले जाने का उनका सपना चकनाचूर हो गया है।
यूएस तेल और गैस कंपनी एक्सॉन मोबिल के साथ इटली की ईएनआई, पाकिस्तान की तेल और गैस कंपनी मिलकर केकरा-1 ब्लॉक में मिलकर खुदाई कर रही हैं। पानी के अंदर कुल 5660 मीटर गहराई तक खुदाई की जानी थी और अभी तक 4810 मीटर तक की खुदाई हो चुकी है। इससे पहले अधिकारियों ने कहा था कि अंतिम चरण तक पहुंचते-पहुंचते तेल और गैस भंडार के खजाने के संकेत मिलने लगेंगे हालांकि अभी तक ऐसी कोई सफलता कंपनियों के हाथ नहीं लगी है।
पाकिस्तान के पूर्व गृह मंत्री रहे चौधरी निसार अली खान ने भी संभावित तेल भंडार के दावे पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान को अरब सागर के तेल भंडारों के बारे में गलत जानकारी दी गई। रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए चौधरी निसार ने कहा कि किसी ने भी तेल भंडारों की खोज के इमरान खान के दावे पर सवाल खड़े नहीं किए।
बता दें कि मार्च महीने में पीएम इमरान खान ने कहा था कि वह जल्द ही देश के साथ एक अच्छी खबर साझा करेंगे। उन्होंने देशवासियों से अपील भी की थी कि वे प्रार्थना करें कि तेल भंडार को लेकर सारी उम्मीदें सच साबित हों। उन्होंने कहा था, अगर खुदाई कर रहीं कंपनियों से मिल रहे संकेत पर चलें तो मजबूत संभावना है कि हम अपने पानी में बड़ा तेल भंडार खोज लेंगे। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान एक अलग कतार में आकर खड़ा हो जाएगा।
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि इमरान खान को कौन ऐसी गलत जानकारी दे रहा था कि पाकिस्तान भंडार खोजने के बहुत नजदीक है। तब तो खुदाई का बहुत शुरुआती चरण ही था।' उन्होंने ड्रिलिग ऑपरेटर कंपनी ईएनआई के डेटा के हवाले से कहा कि केकरा-1 कुएं को करीब 4900 मीटर की गहराई तक खोदा गया तो बहुत उच्च दबाव बना था जिससे मिट्टी का बहुत नुकसान हुआ। इसके बाद एक तरफ से ट्रैकिंग की शुरुआत की गई और जब यह 3100 मीटर की गहराई तक पहुंचा तो फिर से असफलता ही हाथ लगी। इसके बाद दूसरी तरफ से ट्रैकिंग की गई और 3700 मीटर तक कुएं की खुदाई की गई।