ये है हाफिज का काला इतिहास, सिर पर है एक करोड़ डॉलर का इनाम

Sunday, Feb 19, 2017 - 11:30 AM (IST)

इस्लामाबादः भारत को घाव देकर पाकिस्तान में कई आतंकी सरगना शरण लिए हुए हैं। इनमें से एक हाफिज मोहम्मद सईद का नाम प्रमुख है। 1948 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा में जन्मे हाफिज सईद, अब्दुल्लाह आजम और जफर इकबाल ने मिलकर 1987 में  लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन बनाया।

 उसके काले  इतिहास के अनुसार 13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद पर हमले के बाद पाकिस्तान ने उसे 21 दिसंबर को हिरासत में लिया। 31 मार्च, 2002 तक वह हिरासत में रहा। 2006 में मुंबई ट्रेन धमाके के बाद पाकिस्तान ने उसे नौ अगस्त, 2006 को गिरफ्तार किया। लेकिन 28 अगस्त, 2006 को लाहौर हाई कोर्ट के आदेश पर उसे रिहा कर दिया गया। 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से हाफिज सईद को आतंकी सूची में डालने का आग्रह किया।

 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उसके संगठन जमात उद दावा को लश्कर ए तैयबा से जुड़ा माना।11 दिसंबर, 2008 को उसे फिर गिरफ्तार किया गया। 2009 में लाहौर हाई कोर्ट के आदेश पर उसे रिहा कर दिया गया। 25 अगस्त, 2009 को इंटरपोल ने भारत के आग्रह पर उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। पाकिस्तान में उसे सितंबर, 2009 में फिर गिरफ्तार किया गया। 12 अक्टूबर, 2009 में लाहौर हाई कोर्ट ने उसे सभी आरोपों से बरी किया। अप्रैल, 2012 में अमरीका ने 2008 के मुंबई हमले की साजिश के आरोप में उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया। अमरीका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया में भी उसका संगठन लश्कर-ए-तैयबा प्रतिबंधित है।

 वर्ष 2000 में मौलाना मसूद अजहर ने आतंकी संगठन हरकत-उल मुजाहिद्दीन से अलग होकर जैश ए-मोहम्मद का गठन किया। इसमें हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के भी कई आतंकी शामिल हुए। दिसंबर 1999 में काठमांडू से दिल्ली आ रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या 814 (आईसी 814)को हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था। उस फ्लाइट को अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। मकसद था भारत की कैद से आतंकियों की रिहाई कराना। भारतीय बंधकों की जान बचाने के लिए भारत सरकार ने 3 आतंकियों को रिहा किया था। उनमें मौलाना मसूर अजहर भी शामिल था।

संसद हमला : वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले के पीछे भी जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था। 2002 में संगठन के 4 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। जिनमें आतंकी अफजल गुरु भी शामिल था जिसे 9 फरवरी 2014 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। जनवरी, 2002 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने देश में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद वह वहां संगठन खदम-उल-इस्लाम के नाम से गतिविधियां चला रहा है। हाफिज सईद के पाकिस्तानी सेना और वहां के हुक्मरानों के साथ गहरे ताल्लुकात की बात कोई छिपी हुई नहीं है।

सईद ने जिस तरह सरकार की ताजा कार्रवाई से पहले अपने संगठन का नाम बदल लिया उससे इस बात का शक बढ़ गया है कि पाकिस्तानी एजेंसियों के दांत सईद के मामले में दिखाने के कुछ, और खाने के कुछ और होते हैं।पिछले दिनों सईद ने अपने संगठन जमात उद दावा का नाम बदलकर तहरीक-ए-आजादी कर लिया। उसने यह भी कहा कि अब यह संगठन कश्मीर में आजादी के मुद्दे पर आंदोलन करेगा। भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, जमात उद दावा का नाम हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी आतंकी संगठनों की सूची में फिर से जारी किया गया है। जानकारों का कहना है कि इसी वजह से पाकिस्तानी हुक्मरानों की मर्जी से सईद ने यह काम किया है क्योंकि अब उसके नए संगठन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। सामाजिक कार्य की आड़ में यह संगठन कश्मीर समेत भारत के दूसरे हिस्सों में भी अपने आतंकी भेज सकेगा। सईद पहले भी इस तरह का काम कर चुका है।

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