ओली ने संसद भंग करने का किया बचाव, कहा-अदालतें प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकती

Thursday, Jun 17, 2021 - 06:59 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि न्यायपालिका प्रधानमंत्री को नियुक्त नहीं कर सकती और वह विधायिका तथा कार्यपालिका के उत्तरदायित्व नहीं संभाल सकती। ओली ने प्रतिनिधि सभा को भंग किये जाने के बारे में उच्चतम न्यायालय के मांगे गये स्पष्टीकरण के लिखित जवाब में यह बात कही।

ओली ने अपने जवाब में कहा, ‘‘ न्यायालय का दायित्व संविधान और वर्तमान कानून की व्याख्या करना है, यह विधायिका या कार्यकारी इकाइयों की भूमिका नहीं अदा कर सकता। प्रधानमंत्री की नियुक्ति सर्वथा राजनीतिक और कार्यकारी प्रक्रिया है।''

राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 22 मई को पांच महीने के भीतर दूसरी बार प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा की थी। श्री ओली ने पूरे मसले पर राष्ट्रपति की भूमिका का बचाव करते हुए कहा, ‘‘ संविधान का अनुच्छेद 76 केवल राष्ट्रपति को एक प्रधानमंत्री की नियुक्ति का पूरा अधिकार देता है।''

उच्चतम न्यायालय ने नौ जून को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनसे सात दिनों के भीतर जवाब मांगा था। न्यायालय ने प्रतिनिधि सभा भंग किये जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये नोटिस जारी किये थे। याचिकाकर्ताओं ने प्रतिनिधि सभा भंग किये जाने को ‘असंवैधानिक' करार दिया था।

गौरतलब है कि ओली की सिफारिश पर भंडारी के प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिये जाने और 30 अप्रैल एवं 10 मई को नये चुनावों की घोषणा किये जाने के बाद नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर ही 20 दिसंबर को सत्ता संघर्ष ने जोर पकड़ लिया था। ओली ने प्रतिनिधि सभा भंग किये जाने का बचाव करते हुए दावा किया था कि उनकी पार्टी के कुछ नेता ‘समानान्तर सरकार' के गठन का प्रयास कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया था।

Yaspal

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