परमाणु बारूद के ढेर पर बैठे उत्तर कोरिया से सूझबूझ से निपटना होगा

punjabkesari.in Monday, Sep 04, 2017 - 10:14 AM (IST)

नई दिल्ली( रंजीत कुमार): पिछले साल से दस गुना अधिक शक्ति वाला 120 किलोटन का हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर उत्तर कोरिया ने अमरीकी प्रशासन और जनमानस को झकझोर कर रख दिया है। पिछले मंगलवार को जापान के ऊपर से होकर बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर उत्तर कोरिया ने अमरीका और जापान को उकसाने का काम किया था। अब इसके कुछ दिनों बाद ही अपना छठा परमाणु परीक्षण और पिछले साल से दस गुना अधिक क्षमता वाला हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर उत्तर कोरिया ने अमरीका को इस कदर चिढ़ाया है कि अमरीका को समझ नहीं आ रहा कि इसका किस तरह जवाब दें।

उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह कि किम जोंग उन के इन उकसावे वाले कदमों का जवाब काफी और धैर्य, सूझबूझ व संजीदगी से देना होगा। अन्यथा बारूद के ढेर पर बैठे उत्तर कोरिया का तानाशाह अपने ऊपर कोई आंच आते देख ऐसा कदम उठा सकता है जिसका खामियाजा पृथ्वी के एक बड़े हिस्से पर रहने वाली आबादी को भुगतना होगा। उत्तर कोरिया ने अपने यहां जो परमाणु बारूद का ढेर इकट्ठा कर लिया है इसमें एक मामूली चिंगारी भी पूरी पृथ्वी को तहस-नहस कर सकती है। उत्तर कोरिया का सनकी शासक किम जोंग उन एक पागल की तरह मिसाइल और परमाणु परीक्षणों की सफलता पर हंसता हुआ दिखता है उससे साफ है कि वह कोई ऐसा आत्मघाती कदम उठा सकता है जिससे न केवल उत्तर कोरिया बल्कि दक्षिण कोरिया मटियामेट होगा, चीन की बड़ी आबादी भी इससे अछूता नहीं रह सकेगी।

शीतयुद्ध के दौरान भी अमरीका और सोवियत संघ के बीच कड़ी प्रतिद्वंद्वदिता और भारी तनाव के बावजूद परमाणु बम का इतना बड़ा आतंक नहीं पैदा हुआ था लेकिन उत्तर कोरिया के शासकों ने अपनी परमाणु ताकत के बल पर अमरीका, जापान और दक्षिण कोरिया को डराया है। शायद चीन और रूस के सामरिक हलकों में उत्तर कोरिया के इस कदम से राहत मिली है। हालांकि चीन और रूस ने हाइड्रोजन बम परीक्षण की घोर निंदा की है लेकिन साथ में अमरीका को सलाह भी दी है कि वह उत्तर कोरिया से बातचीत कर मसले को सुलझाए। लेकिन सामरिक पयर्वेक्षक मानते हैं कि नब्बे के दशक से ही उत्तर कोरिया के शासकों से उसके परमाणु कायर्क्रम के बारे में बातचीत की जा रही है। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। उत्तर कोरिया के साथ छह देशों की वार्ता कई सालों तक चली लेकिन उत्तर कोरिया अपना परमाणु मिसाइल कायर्क्रम चीन की ही मदद से तेज करता गया।

चीन यदि गम्भीरता से चाहता तो उत्तर कोरिया के परमाणु कायर्क्रम पर लगाम लगा सकता था लेकिन वह ऐसा इसलिए नहीं करता कि उत्तर कोरिया के नाम पर वह अमरीका, जापान, दक्षिण कोरिया आदि को दबा सके। उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र का आथिर्क व तकनीकी प्रतिबंध लगा है इसलिए गिने चुने देश ही उत्तर कोरिया के साथ व्यापारिक आदान प्रदान करते हैं। उत्तर कोरिया का 90 प्रतिशत आर्थिक आदान प्रदान चीन से ही होता है इसलिए चीन जब चाहे उत्तर कोरियाई शासक का गिरबान पकड़ कर कह सकता है कि परमाणु कायर्क्रम बंद नहीं किया तो उसका हुक्का पानी बंद कर दिया जाएगा। लेकिन यह कर कि इससे उत्तर कोरिया की भूखी आबादी को ही परेशानी होगी उसे  निर्यात में मामूली कटौती केवल दिखावे के लिए ही करता है।

चीन कहता है कि उत्तर कोरिया पर उसका कोई दबाव काम नहीं आता लेकिन पयर्वेक्षकों का मानना है कि चीन यदि चाहे तो उत्तर कोरिया के परमाणु मिसाइल कायर्क्रम पर लगाम लगा सकता है लेकिन ऐसा कर चीन अमरीका, जापान और दक्षिण कोरिया को सामरिक राहत व चैन की सांस नहीं लेने देना चाहता है।


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