नेपाल में वामपंथी गठबंधन की सरकार बनने के बाद भारत के लिए नई चुनौती

Friday, Dec 15, 2017 - 05:36 PM (IST)

नई दिल्ली: कोई पड़ोसी देश अन्य देशों से अपने संबंध बेहतर करे, इससे भारत को क्या एतराज हो सकता है, लेकिन चीन से हमारे संबंध खराब रहे हैं। कुछ दिन पहले डोकलाम पर दोनों देशों के बीच भारी गतिरोध बना हुआ था। ऐसी स्थिति में भारत नहीं चाहेगा कि नेपाल का इस्तेमाल चीन हमारे खिलाफ करे। इसके लिए नेपाल से रिश्ते और बेहतर करने की जरूरत है। एक ऐसी सरकार बनने के बाद जो भारत के प्रति सशंकित है, भारत की चुनौतियां और भी बढ़ जाती हैं।

नेपाल के चुनावी नतीजों के बाद वहां वामपंथी मोर्चा की सरकार बन रही है और केपी ओली वहां के प्रधानमंत्री बन रहे हैं। चूंकि मोर्चे को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है, इसलिए इसकी पूरी संभावना है कि यह सरकार पूरे 5 सालों तक चलेगी और पिछले 11 सालों से वहां चल रहा अस्थिरता का दौर अब समाप्त हो जाएगा। 

ना तो भारत विरोधी, ना ही चीन समर्थक
सीपीएन-यूएमएल के महासचिव ईश्वर पोखरेल ने कहा, ‘दोनों देश हमारे पड़ोसी हैं, हम दोनों पड़ोसियों का सम्मान करते हैं। भारत हमारा पड़ोसी है। कोई नेपाली भारत विरोधी नहीं होगा।’ उल्लेखनीय है कि, नई दिल्ली के साथ नेपाल के कई व्यापारिक और ट्रांजिट समझौते हैं। पोखरेल के मुताबिक, नई सरकार चीन के साथ संबंध विकसित करने को इच्छुक है, जिसे उन्होंने एक दोस्त बताया जो नेपाली संप्रभुता का सम्मान करता है। 

चीन के साथ कायम रखने होंगे अच्छे संबंध
उन्होंने दलाई लामा से मिलने के लिए तिब्बतियों के नेपाल में प्रवेश का संभवत: जिक्र करते हुए कहा कि, ‘हमें चीन के साथ अच्छे संबंध कायम रखने होंगे। हम एक चीन की नीति का सम्मान करते हैं और हम चीन विरोधी गतिविधियों के सख्त खिलाफ हैं। 

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