नेपाल सियासी संकटः प्रचंड बोले - नेक नहीं PM ओली के इरादे,  टूटने की कगार पर पहुंचाई NCP

Saturday, Jul 25, 2020 - 03:59 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल की राजनीति में उठा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली और पुष्प कमल दहल  'प्रचंड'  के बीच चल रहा विवाद सुलझने के बजाय और उलझता जा रहा है।  कुछ दिन पहले तक लग रहा था कि शायद  सब ठीक हो जाएगा और ओली की कुर्सी बच जाएगी लेकिन अब ये संभावना एक बार फिर क्षीण होती दिखाई दे रही है।  नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) के उपचेयरमैन और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के प्रमुख विरोधी नेता पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने साफ कह दिया है कि ओली के इरादे नेक नहीं लग रहे और अभी पार्टी टूटने की आशंका खत्म नहीं हुई है।

 

सत्ता के बंटवारे को लेकर मचे घमासान के बीच सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सह-अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली पार्टी को दोफाड़ करने पर आमादा हैं।  उन्होंने आरोप लगाया है कि ओली के कहने पर कुछ लोगों ने देश के निर्वाचन आयोग के पास CPN-UMN नाम की पार्टी रजिस्टर कराई है। इससे पहले पार्टी के बीच पैदा हुए संकट को खत्म करने के लिए चीनी राजदूत ने ताबड़तोड़ बैठकें की थीं जिससे अटकलें लगाई जा रही थीं कि शायद कुछ सुलह हो भी सकती है। 

 
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) की स्थाई समिति की बैठक में प्रधानमंत्री ओली के धड़े और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के खेमे के बीच के मतभेदों को दूर नहीं किया जा सका। इसी बैठक के कुछ दिन बाद प्रचंड ने यह बयान दिया है।  मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक श्रेष्ठ और नर बहादुर कर्मचार्य के स्मृति दिवस पर काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चेयरमैन  'प्रचंड' ने संकेत दिए किए NCP में संकट की वजह पीएम ओली का बर्ताव है। 

 
दहल ने कहा, 'बातचीत के बावजूद पार्टी के दूसरे चेयरमैन के कहने पर निर्वाचन आयोग में CPN-UML नाम की पार्टी रजिस्टर कराई गई जिससे हमारी पार्टी संकट में है।' EC में CPN-UML नाम की पार्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए 1 जुलाई को आवेदन दिया गया था। यह आवेदन संध्या तिवारी के नाम से दिया गया था।   ओली पर पार्टी को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए दहल ने कहा कि उन्होंने अपने पक्ष में छात्रों और पार्टी कार्यकर्ताओं से प्रदर्शन कराए। उन्होंने कहा, 'हम पार्टी के अंदर चर्चा कर रहे हैं लेकिन देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं।' 
 
 

 बता दें कि नेपाल की राजनीति में पैदा हुए संकट के बाद चीन की राजदूत हाओ यान्की ने देश के सभी बड़े नेताओं के साथ खूब बैठकें कीं। यान्की को पीएम केपी ओली का करीबी तो माना ही जाता है, इस बीच उन्होंने माधव नेपाल से लेकर राष्ट्रपति बिद्या भंडारी से भी मुलाकात कर डाली। यहां तक कि उनसे मिलने से बचते रहे दहल भी आखिरकार बैठक के लिए राजी हो गए। इसे लेकर देश में सवाल भी उठे कि आखिर चीनी राजदूत का नेपाल की राजनीति में इतना दखल क्यों है लेकिन चीन के दूतावास ने उनकी बैठकों का समर्थन किया और कहा कि चीन चाहता है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर मतभेद सुलझ जाएं। 

Tanuja

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