आर्मीर्निया-आजरबैजान जंग में सैंकड़ों लोगों की मौत; सड़कें व घर मलबे में तब्दील, US ने कहा-" रोक दो

Wednesday, Oct 14, 2020 - 11:20 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः आर्मीर्निया- आजरबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख जैसे अलगाववादी क्षेत्र को लेकर चल रही जंग में अब तक 73 नागरिकों सहित कम से कम 600 लोगों की मौत हो गई है। नागोर्नो-काराबाख के सैन्य अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को उनके 16 कर्मी युद्ध में मारे गए। इसके साथ ही 27 सितंबर को शुरू हुई लड़ाई में उसके 532 सैनिकों की मौत हो चुकी है। आजरबैजान ने हालांकि, अपनी सेना को हुए नुकसान की जानकारी नहीं दी है पर दोनों पक्षों की ओर से किए जा रहे दावों के मद्देनजर कुल हताहतों की संख्या बहुत अधिक होने की आशंका है।

आजरबैजान ने कहा कि गत दो हफ्तों की लड़ाई में उसके 42 आम नागरिक मारे गए हैं। नागर्नो-काराबाख के मानवाधिकार लोकपाल अर्तक बेलारयान ने देर सोमवार बताया कि आजरबैजान से अलग हुए इस इलाके में कम से 31 आम नागरिकों की मौत हुई है और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस ने कहा है कि ‘व्यस्त सड़कें और घर भी मलबे में तब्दील हो चुके हैं। इससे पहले अज़रबैजान और अर्मेनियाई सैनिकों ने एक-दूसरे पर युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगाया था। युद्ध विराम के बावजूद कई क्षेत्रों में भारी गोलाबारी भी की गई थी।

अमेरिका ने अजरबैजान और आर्मेनिया से आह्वान किया है  कि वे इस जंग से होने वाली तबाही को रोके और संघर्ष विराम को लागू करने के लिए सहमति बनाएं  न कि नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाएं। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच लड़ाई के बीच भी मिन्स्क समूह दोनों राष्ट्रों से आग्रह करता है कि उन्हें युद्धविराम को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। रूस, फ्रांस और अमेरिका सहित मिन्स्क समूह के सदस्यों ने इस लड़ाई के भयावह परिणाम की चेतावनी दी है। इस बीच, अजरबैजान के सहयोगी तुर्की ने कहा कि वह रूस, अजरबैजान, आर्मेनिया और तुर्की के बीच चार-तरफा वार्ता चाहता है।

तुर्की ने कहा, ‘चूंकि रूस अर्मेनिया के पक्ष में है और हम अजरबैजान का समर्थन करते हैं इसलिए इन समस्याओं के समाधान के लिए चर्चा करने के लिए चार-तरफा वार्ता होनी चाहिए। 30 साल बाद यह एक नया तंत्र खोजने का समय है । बता दें कि अजरबैजान के विवादित नागोर्नो-करबख क्षेत्र में अर्मेनियाई बहुमत है और 1991 में सोवियत संघ से टूटने के बाद दोनों देशों के बीच एक फ्लैशपॉइंट बन गया था। दोनों देशों ने 90 के दशक की शुरुआत में युद्ध के दौरान कम से कम 30,000 लोगों को खोया, हालांकि 1994 में युद्ध विराम संधि हुई लेकिन आज एक बार फिर वही हालात हैं।

Tanuja

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