भारत के सुखोई लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने का कार्य अधर में लटका

Wednesday, Apr 27, 2022 - 11:23 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते रूस से आयातित और तकनीक हस्तांतरण के जरिये भारत में निर्मित सुखोई विमानों के स्पेयर पार्ट्स मिलने मुश्किल हो गए हैं। जिसके चलते 40 फीसदी से भी अधिक सुखोई विमान उड़ने की स्थिति में नहीं हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति में और विलंब होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। भारतीय वायुसेना के पास 272 सुखोई लड़ाकू विमान हैं। पांच साल पूर्व तक इन विमानों की सेवा में रहने की दर 60-65 फीसदी से भी ज्यादा थी।

सुखोई लड़ाकू विमानों के बेड़े को अपग्रेड किया जाना है। इस प्रक्रिया में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड शामिल होंगे। इस तरह के अपग्रेडेशन पर चर्चा लगभग एक दशक से चल रही है लेकिन अंतिम योजना को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि भारत की युद्धक धार को बनाए रखने के लिए इसकी तत्काल आवश्यकता है।

इसलिए आ रही है अड़चनें
जबकि अब स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति नहीं होने से दर्जनों विमानों की मरम्मत का कार्य रुक गया है। मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने सुखोई विमानों की आपूर्ति के लिए रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कार्पोरेशन एवं यूनाइटेड इंजन कापोरेशन से करार कर रखा है। लाइसेंस हस्तांतरण के जरिये 222 सुखोई भारत में एचएएल के द्वारा तैयार किए गए हैं। खासकर इन विमानों के लिए स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति को लेकर पूर्व में हुए समझौते में स्पष्ट प्रावधान नहीं होने से ज्यादा अड़चनें आ रही हैं।

ज्यादातर आपूर्ति रूस पर निर्भर
मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने अग्रिम पंक्ति के सुखोई लड़ाकू बेड़े को अपग्रेड करने के लिए रूसी आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर करता है, अधिकारियों ने आग्रह किया है कि स्थानीय रूप से निर्मित प्रणालियों को जल्द से जल्द सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों में एकीकृत करने की आवश्यकता है। विमान जो भारत के लड़ाकू बेड़े का एक बड़ा हिस्सा है और पहली बार दो दशक पहले शामिल किया गया था। सुपर सुखोई अपग्रेड होने की प्रतीक्षा कर रहा है जिसमें रडार, पूर्ण-ग्लास कॉकपिट और उड़ान-नियंत्रण सहित प्रमुख भारतीय-निर्मित घटक शामिल होंगे।

रूसी कंपनियों के सामने बाधा
यूक्रेन के हमले के बाद लगाए गए कड़े प्रतिबंधों को देखते हुए रक्षा प्रतिष्ठान के अधिकारियों ने लड़ाकू बेड़े के लिए स्पेयर पार्ट्स की एक स्थिर आपूर्ति प्रदान करने के लिए रूसी कंपनियों की क्षमता के बारे में चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि आकस्मिक योजना के कारण आने वाले महीनों के लिए पर्याप्त स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध हैं, लेकिन लंबे समय में रूसी आपूर्तिकर्ताओं को प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि कई घटक पश्चिम देशों से खरीदे जाते हैं। प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि आने वाले महीनों में एक बड़ी चुनौती रूसी मूल के इलेक्ट्रॉनिक्स की आपूर्ति होगी।

Anil dev

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