अमजद अयूब मिर्जा का दावा पाकिस्तान से शुरू हुआ है आतंकवाद

Tuesday, Jun 21, 2022 - 11:24 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: पाकिस्तानी लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा है कि भारत लगभग 70 वर्षों से इस्लामी आतंकवाद का सामना कर रहा है। आतंकवाद का मुकाबला करने का तरीका दुनिया को यह बताना है कि इस्लामोफोबिया एक सुविधाजनक आवरण और धोखा है। उन्होंने कहा कि भारत के बाहर सताए गए हिंदुओं और सिखों का नैतिक दायित्व है कि वे अपने हकों के लिए लड़ें और न्याय मांगें। मिर्जा ने कहा कि इस सवाल पर विचार करना होगा कि आतंकवाद की शुरुआत कहां से हुई? आतंकवाद की शुरुआत पाकिस्तान से हुई, और ये वो मुल्क है जो विडम्बना से इस्लामोफोबिया की बात भी करता है।

इस्लामोफोबिया का मुकाबला कर रहे हैं हिंदू
मिर्जा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मीरपुर के रहने वाले हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से जान को खतरा होने के डर से वह ब्रिटेन में निर्वासन में रह रहे हैं। वह कहते हैं कि इस्लाम पर मौजूदा बहस से पता चलता है कि हिंदू इस्लामिक आक्रमणों और मंदिरों के विनाश का जवाब मांग रहे हैं, और इस्लामोफोबिया का मुकाबला कर रहे हैं। मिर्जा कहते हैं कि वास्तविकता यह है कि भारत के अंदर और देश के बाहर भी जिन लोगों को सताया जा रहा है, वे वास्तव में हिंदू हैं।

बलूचिस्तान को लूट रहा है पाकिस्तान और चीन
बलूचिस्तान के बारे में पूछ जाने पर उनका तर्क है कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की प्रगति के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना द्वारा इसके प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के आलोक में देखना होगा। पहले पाकिस्तानी नौकरशाही बलूचिस्तान को लूट रही थी। अब चीन इसमें शामिल हो गया है और पाकिस्तान जगह ले रहा है। पाकिस्तान के अस्थिर होने पर बलूचिस्तान को आजादी मिल जाएगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि पाकिस्तानी सेना प्रांत पर अपनी पकड़ बनाए नहीं रख पाएगी। मिर्जा कहते हैं कि  भले ही बलूचिस्तान में बलूच प्रतिरोध को कुचलने के लिए जमीनी बलों के साथ-साथ वायु शक्ति के साथ कई सैन्य अभियान चल रहे हों, लेकिन सेना ने बलूच विद्रोहियों के खिलाफ बहुत कम प्रगति की है।

साम्प्रदायिक हिंसा से पैदा हुआ है पाकिस्तान
पाकिस्तान दो-राष्ट्र सिद्धांत से बना था, जिसमें कहा गया था कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। मुझे लगता है, किसी समुदाय को उनके धर्म के आधार पर राष्ट्र कहना बहुत ही सांप्रदायिक और नस्लवादी है, जो सांप्रदायिक हिंसा को जन्म देता है। एक देश जो साम्प्रदायिक हिंसा और साम्प्रदायिक घृणा के आधार पर अस्तित्व में आया है, उसने अपने आप को किसी भी गैर-अनुरूपतावादी और गैर-मुसलमानों से शुद्ध करने का कार्य अपने ऊपर ले लिया है। इसलिए प्रत्येक गैर-मुस्लिम-एक हिंदू, सिख या एक ईसाई मूल रूप से द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की अवहेलना कर रहा है। इसलिए, यदि हिंदू या सिख या ईसाई मुसलमानों के साथ सह-अस्तित्व में रहने में सक्षम हैं, तो द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का पूरा विचार टूट जाता है। सरल बात यह है कि भारत के विभाजन से पहले मुसलमान हिंदुओं, ईसाइयों और सिखों के साथ सद्भाव में क्यों नहीं रह सकते थे?

Anil dev

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