चीन में कोरोना के XE वेरिएंट से मचा कोहराम, लॉकडाउन की वजह से सिर्फ एक वक्त का मिल रहा है खाना

Saturday, Apr 16, 2022 - 11:40 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: दुनिया भर के कई देशों में कोरोना XE वेरिएंट कहर बरपा रहा है। चीन में कोरोना से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। चीन में करीब 25 मिलियन यानी ढाई करोड़ की आबादी वाले शहर शंघाई सख्त लॉकडाउन लगा है। जिसके कारण व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है। रोजगार भी ठप है। ऐसे में दैनिक मजदूरी कर अपनी भूख मिटाने वाले लोगों के लिए संकट की स्थिति बन गई है। लोगों के पास खाने-पीने का सामान खत्म होता जा रहा है और पैसे देकर भी उन्हें सामान नहीं मिल रहा है। ऐसे में लंबे समय तक महामारी के दौरान लॉकडाउन में बीच शंघाई में लोगों ने खाने पीने की वस्तुओं का इंतजाम करने का सदियों पुराना तरीका अपनाया है, जिसे वर्तमान में वस्तु विनिमय कहा जाता है। वस्तु विनियम में सामान की खरीद के लिए मुद्रा का प्रयोग नहीं होता है। इसमें लोग सामान के बदले में सामान का आदान प्रदान करते हैं।

लेन देन में सब्जियों से लेकर शराब तक उपलब्ध
शहर के सख्त कोविड लॉकडाउन ने भोजन और दैनिक आवश्यकताओं की खरीद को एक संघर्ष बना दिया है जिसे पैसे से भी हल नहीं किया जा सकता है। लोग वस्तु विनिमय का सहारा ले रहे हैं, सब्जियों के लिए पड़ोसियों को आइसक्रीम, केक के लिए शराब तक ऑफर किए जा रहा है। शंघाई में लोग वीचैट ग्रुप में उन चीजों का जिक्र करते हैं जो उन्हें चाहिए होती हैं और उसके बदले में जो उनके पास है उसकी जानकारी शेयर करते हैं। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि उसने लॉकडाउन से पहले बहुत सारे टिशू पेपर खरीदे थे। जिसके बदले में वह भोजन चाहता था। इस ऑफर को उसने वीचैट पर डाला। उसने बताया कि उसे पांच मिनट के अंदर पड़ोसियो के ब्रेज़्ड बीफ से लेकर मसालेदार सिचुआन तक के नूडल की पेशकश की गई।

ऐसे कर रहे हैं लोग जरूरत पूरी
लॉकडाउन के दौरान विशेष रूप से मांगे जाने वाले खाद्य पदार्थों में ताजे फल और सब्जियां हैं, जिन्हें आपूर्ति में व्यवधान और बढ़ती मांग के कारण ऑनलाइन ग्रॉसरी से खरीदना मुश्किल हो गया है। उच्च मांग में अन्य सामानों में डायपर और बेबी फार्मूला शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 12 महीने के बच्चे के साथ शंघाई स्थित एक निवेश प्रबंधक ने हाल ही में सब्जियों और दही के लिए एक पड़ोसी के साथ लॉकडाउन से पहले खरीदे गए शिशु फार्मूले के तीन कनस्तरों का कारोबार किया। लॉकडाउन में स्थानीय निवासी अब नकदी के लेन-देन पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं।

पैसे का कोई मूल्य नहीं रह गया
दरअसल कई निवासियों का कहना है कि वे पैसे लेने के बजाय किसी को सामान देना पसंद करते हैं, जो उनकी वर्तमान परिस्थितियों में बहुत उपयोगी नहीं है। शंघाई में एक छोटी सामग्री निर्माण फर्म की मालिक स्टेफनी जी ने कहा कि पैसे का मूल्य नहीं रह गया है। उसने हैम और बियर से लेकर फल और डेसर्ट तक विनियम वस्तु का कारोबार किया है। दूसरी ओर अच्छे संबंध और संपर्क पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। गौरतलब है कि अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रॉन संस्करण के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से  शहर के व्यापक प्रतिबंध अब अपने तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर रहे हैं।

Anil dev

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