म्यांमार में विरोध को दबाने के लिए सैन्य शासन ने इंटरनेट पर लगाई रोक

Sunday, Feb 07, 2021 - 05:57 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः म्यांमार में आंग सान सू ची की चुनी हुई सरकार का तख्तापलट करने के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है। ऐसे में शुक्रवार देर रात यहां मोबाइल इंटरनेट सेवा बाधित कर दी गई। इतना ही नहीं विरोध को दबाने के लिए सैन्य शासन ने शनिवार सुबह से ब्रॉडबैंड सेवा भी बंद कर दी है। 

दुनियाभर में इंटरनेट सेवाओं पर लगाए जा रहे पाबंदियों पर नजर रखने वाली कंपनी ‘नेटब्लॉक’ ने बताया कि शनिवार सुबह से म्यांमार में इंटरनेट सेवा पूरी तरह से बंद है। इसके अलावा म्यांमार में सैन्य शासन की सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी है। म्यांमार में शुक्रवार को ट्विटर और इंस्टाग्राम के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी गई थी। फेसबुक पर देश में पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक, इस सप्ताह दूसरी बार म्यांमार में इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगाया गया है। 

सैन्य सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि कुछ लोग फर्जी खबरें फैलाने के लिए फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस वजह से ये फैसला लिया गया है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि इंटरनेट पर प्रतिबंध की जल्दबाजी तख्तापलट के बढ़ते विरोध को रोकने के लिए की जा रही है।  ऐसा करने की सबसे बड़ी वजह ये भी है कि शनिवार को तख्तापलट के खिलाफ कुछ बड़े प्रदर्शन किए गए। 

म्यांमार के यांगून में शनिवार को प्रदर्शन में लगभग एक हजार लोग मौजूद थे। इनमें फैक्टरी कामगार और छात्र प्रमुख रूप से शामिल थे। प्रदर्शन में शामिल लोग ‘सैन्य तानाशाही जानी चाहिए’ के नारे भी लगा रहे थे। इस बीच शनिवार को ही एक सशस्त्र हमले में 12 लोगों की मौत हो गई। यह हमला स्व-शासित क्षेत्र कोकांग की परिषद के पूर्व सदस्य यू खिन मांग के काफिले पर किया गया। इस हमले को म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी के 20 सदस्यों ने अंजाम दिया। 

बता दें, म्यांमार की सेना गत सोमवार को तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज हुई। इसके बाद देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट सहित कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। सू की पर अवैध रूप से संचार उपकरण आयात करने का आरोप लगाया गया है। उन्हें जांच के नाम पर 15 फरवरी तक हिरासत में रखने की बात कही गई है। इसी बात को लेकर म्यांमार में  विरोध-प्रदर्शन जारी है। इससे पहले शुक्रवार को भी सैकड़ों की संख्या में छात्रों, शिक्षकों और चिकित्सकों ने विरोध-प्रदर्शन किया था। इतना ही नहीं, देश में कुछ चिकित्सकों ने तो काम करने से भी इनकार कर दिया है।

Pardeep

Advertising