जानिए क्यों, लू शियाओबो चीन को लगते थे खतरा

Friday, Jul 14, 2017 - 11:37 AM (IST)

बीजिंग: चीन की हिरासत में बंद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता लू श्याबाओ(61)का गुरुवार को निधन हो गया। पिछले लंबे समय से लिवर कैंसर से जूझ रहे श्याबाओ पिछले 11 साल से चीन की जेल में बंद थे और वे चीनी सरकार के लिए एक खलनायक से कम नहीं थे।

कौन थे लू श्याबाओ?
यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफ़ेसर,लू को लिवर कैंसर था और वो मेडिकल परोल पर जेल से बाहर थे। अपने विद्रोही राजनीतिक विचारों और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की तीखी आलोचना के लिए जाने जाने वाले लू लगातार लोकतंत्र और मुक्त चीन के लिए अभियान चलाते रहे।श्याबाओ को चीन में मानवाधिकार के लिए संघर्ष करने वालों में अगुआ माना जाता रहा है। प्रदर्शनों के लिए कई बार लू श्याबाओ को जेल भी जाना पड़ा।

साल 2010 में शांति नोबेल पुरस्कार
लू श्याबाओ को साल 2010 में शांति नोबेल पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार चुनने वाले जजों ने उनके लंबे और अहिंसक संघर्ष की तारीफ की जिससे चीन भड़क गया। लू को पुरस्कार समारोह में शामिल होने की भी इजाजत नहीं दी गई और उस समय अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में खाली कुर्सी की तस्वीरें सुर्खियां बनीं। फिर कुछ ही दिन बाद लू की पत्नी लू शिया को घर के अंदर नजरबंद कर दिया गया और उन्हें उनके परिवार और समर्थकों से अलग-थलग कर दिया गया।
पहली बार कब आए थे चर्चा में
लू श्याबाओ सबसे पहले 1989 में तियानमेन नरसंहार के बाद चर्चा में आए। वे तब कोलंबिया विश्वविद्यालय में विजिटिंग स्कॉलर थे। उन्होंने छात्रों के चल रहे प्रदर्शन में भाग लेने के चीन वापस आने का फैसला किया। चीन में उनके खिलाफ दमन की नीति अपनाई गई जिसके चलते कई देशों से उन्हें शरण देने की पेशकश हुई लेकिन उन्होंने चीन में रहना ही पंसद किया और अपना संघर्ष जारी रखने का फैसला किया।

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