रविवार रहा पृथ्वी का सबसे गर्म दिन, तापमान ने पिछले 100,000 वर्षों का रिकार्ड तोड़ा !

punjabkesari.in Wednesday, Jul 24, 2024 - 11:43 AM (IST)

वॉशिंगटन: गत रविवार को  पृथ्वी का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया है जो पिछले कुछ वर्षों में टूटे कई तापमान रिकॉर्ड में एक और इजाफा है। यह जानकारी यूरोपीय जलवायु सेवा कॉपरनिकस (Copernicus) ने मंगलवार को दी।  रविवार  21 July को  पिछले 100,000 वर्षों में सबसे गर्म दिन माना जा सकता है और पर्यावरणीय प्रभाव इसका मुख्य कारण माना जा रहा है।  21 जुलाई को वैश्विक औसत तापमान अपने उच्च स्तर 17.09 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया और इसी के साथ ही कम से कम 84 वर्षों बाद 21 जुलाई पृथ्वी का सबसे अधिक गर्म दिन था।

 

यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (C3S) के अनुसार मासिक गर्मी रिकॉर्ड की एक श्रृंखला को देखें तो जून तक लगातार पिछले 12 महीने से हर माह वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच रहा है। C3S के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, कम से कम 1940 के बाद 21 जुलाई सबसे अधिक गर्म दिन था। यह छह जुलाई 2023 के 17.08 डिग्री सेल्सियस तापमान के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है। जुलाई 2023 और पिछले सभी वर्षों के तापमान के बीच बड़ा अंतर है। जुलाई 2023 से पहले अगस्त 2016 में पृथ्वी का दैनिक औसत तापमान रिकॉर्ड 16.8 डिग्री सेल्सियस था। हालांकि, तीन जुलाई 2023 के बाद से 57 दिन ऐसे रहे हैं जब तापमान पिछले रिकॉर्ड से अधिक रहा है। C3S के निदेशक कार्लो बूनटेंपो ने कहा कि पिछले 13 महीनों के तापमान और उससे पिछले रिकॉर्ड के बीच चौंकाने वाला अंतर है।

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विश्लेषण से पता चलता है कि 2023 और 2024 में पिछले वर्षों की तुलना में वार्षिक अधिकतम दैनिक वैश्विक तापमान काफी अधिक रहा है। 2015 से 2024 तक 10 वर्ष उच्चतम दैनिक औसत तापमान वाले हैं। उत्तरी गोलार्ध की गर्मी के कारण वैश्विक औसत तापमान आमतौर पर जून के अंत और अगस्त की शुरुआत के बीच चरम पर होता है। उत्तरी गोलार्ध में भूमि का द्रव्यमान दक्षिणी गोलार्ध के महासागरों की तुलना में तेजी से गर्म होता है। सी3एस के वैज्ञानिकों ने दैनिक वैश्विक तापमान में अचानक वृद्धि के लिए अंटार्कटिका के बड़े हिस्से में औसत से बहुत अधिक तापमान को जिम्मेदार ठहराया। यूरोपीय जलवायु एजेंसी ने कहा कि 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा या नहीं, यह काफी हद तक ‘ला नीना' के विकास और इसकी तीव्रता पर निर्भर करता है।

 

जलवायु विज्ञान गैर-लाभकारी संस्था बर्कले अर्थ ने पिछले सप्ताह अनुमान लगाया था कि 2024 में नया वार्षिक ताप रिकॉर्ड स्थापित होने की 92 प्रतिशत संभावना है।  इसी समय, यूरोप भी अपनी खुद की घातक हीट वेव से जूझ रहा था। 2024 के पहले छह महीनों ने पिछले रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ते हुए, तापमान में और भी अधिक वृद्धि दर्ज की है।  कोपरनिकस के अनुसार, 2024 के पहले छह महीनों में दर्ज किया गया तापमान पिछले वर्षों के रिकॉर्ड से भी अधिक गर्म था, जो एक नया चौंकाने वाला माप है। बता दें कि कॉपरनिकस  एक प्रमुख यूरोपीय जलवायु सेवा है जो जलवायु और मौसम संबंधी डेटा की निगरानी करती है। कॉपरनिकस का डेटा विश्वसनीय और वैज्ञानिक रूप से सटीक माना जाता है।

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नए रिकॉर्ड 

  • नया रिकॉर्ड: रविवार को मापा गया वैश्विक औसत तापमान 17.09 डिग्री सेल्सियस था।
  • पिछला रिकॉर्ड: 6 जुलाई, 2023 को मापा गया 17.08 डिग्री सेल्सियस था।
  • 2016 का रिकॉर्ड: 2016 में मापा गया तापमान 16.8 डिग्री सेल्सियस था।

  


गर्मी का नया रिकॉर्ड 

1940 तक का डेटा: कोपरनिकस का डेटा 1940 तक के तापमान रिकॉर्ड को शामिल करता है, जो हाल के वर्षों की जानकारी प्रदान करता है।
1880 तक के माप: अन्य वैश्विक माप 1880 तक के डेटा को शामिल करते हैं, जो लंबे समय की प्रवृत्तियों को दर्शाता है।
120,000 वर्षों का आंकड़ा: पैलियो-क्लाइमेट डेटा के अनुसार, पिछले साल का तापमान रिकॉर्ड पिछले 120,000 वर्षों में सबसे अधिक था।

 

विशेषज्ञों की चिंता  बढ़ी 
बर्कले अर्थ के जलवायु वैज्ञानिक ज़ीक हॉसफादर ने कहा, "यह निश्चित रूप से 13 सीधे रिकॉर्ड तोड़ने वाले महीनों के बाद एक चिंताजनक संकेत है।" अब उनका अनुमान है कि 2024 के 2023 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में पार करने की 92% संभावना है।  पिछले 13 महीनों के तापमान में भारी वृद्धि ने हमें अपरिचित क्षेत्र में ला दिया है।   सामान्य से अधिक गर्म अंटार्कटिक सर्दी ने रविवार के तापमान को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। कैलिफ़ोर्निया में अत्यधिक गर्मी और आग की घटनाएं, यूरोप में घातक हीट वेव।  ये सभी संकेतक इस बात की पुष्टि करते हैं कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव वास्तविक और गंभीर हैं, और हमें इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। 

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अत्यधिक गर्मी के कारण ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक अत्यधिक गर्मी से हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके  अलावा फसलों पर नकारात्मक प्रभाव और जल संसाधनों की कमी हो सकती है। रविवार को दर्ज किया गया तापमान इस बात का एक और संकेत है कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और इसके प्रभाव गंभीर हैं। यह हमारे लिए एक चेतावनी है कि हमें जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। मानवता को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा ताकि भविष्य में ऐसे चरम तापमान और उनके परिणामों से बचा जा सके।

 

 

 

 


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News Editor

Taranjeet Singh

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