मानव गतिविधि के चलते भूस्खलन बढ़ रहे हैं, अध्ययन से पता चला

Saturday, Aug 25, 2018 - 11:18 AM (IST)

लंदनः शेफील्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किये गए एक नए अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2004 और 2016 के बीच दुनियाभर में भूस्खलनों में 50000 से अधिक लोगों ने जान गंवायी है। विश्वविद्यालय के अनुसंधानर्ताओं के एक दल ने इन 13 सालों में 4800 से अधिक जानलेवा भूस्खलनों का डाटाबेस तैयार कर यह जानकारी दी है। उसने पहली बार यह भी खुलासा किया है कि इस दौरान मानव गतिविधियों के फलस्वरूप होने वाले भूस्खलन बढ़ गये। यह अनुसंधान यूरोपीय भूगर्भविज्ञान यूनियन की पत्रिका ‘नेचुरल हैकााड्र्स एंड अर्थ सिस्टम साइंसेज’ में प्रकाशित हुआ है। 

टीम ने पाया कि 2004 और 2016 के बीच 700 से अधिक जानलेवा भूस्खलनों पर मानवीय असर नजर आया। निर्माण कार्य, कानूनी और गैर कानूनी खनन, पहाड़ों को अनियंत्रित ढंग से काटना ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से भूस्खलन आया। इस अध्ययन के लेखक शेफील्ड विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में अध्येता डॉ. मेलानी फ्राउडे ने कहा, ‘‘हम इससे परिचित हैं कि मानव अपने स्थानीय पर्यावरण पर दबाव बढ़ाता जा रहा है लेकिन डाटाबेस में इस बात की स्पष्ट प्रवृति मिलना बड़ा आश्चर्यजनक था कि 2004 और 2016 के बीच निर्माण, अवैध पहाड़ कटाई और अवैध खनन के चलते जानलेवा भूस्खलन में दुनियाभर में वृद्धि हुई। उन्होंने कहा, ‘‘मानवीय गतिविधि के फलस्वरूप आने वाले जानलेवा भूस्खलनों में शीर्ष दस देश एशिया में हैं।

भारत सबसे शीर्ष पर 
इस सूची में भारत शीर्ष पर है जहां 20 फीसद ऐसी घटनाएं हुई हैं। इतना ही नहीं, भारत में भूस्खलन में सर्वाधिक रफ्तार से वृद्धि भी हो रही है। उसके बाद पाकिस्तान, म्यामां और फिलीपीन का नंबर आता है। विश्वविद्यालय में उपाध्यक्ष, अनुसंधान एवं नवोन्मेषण, प्रोफेसर दवे पेटली ने यह अहसास होने के बाद जानलेवा भूस्खलनों पर आंकड़े जुटाना शुरू किया कि प्राकृतिक आपदाओं पर उपलब्ध कई डाटाबेस में भूस्खलन के असर को कम आंका गया है।

भूकंप और तूफान भयावह होते हैं लेकिन भूस्खलन में बड़ी संख्या में लोग हताहत होते हैं।अनुसंधानकर्ताओं ने कुल 4800 भूस्खलनों की पहचान की जो 2004 और 2016 के बीच आए और उनमें करीब 56000 लोगों की मौत हो गई। उनमें भूकंप के चलते आए भूस्खलन छांट दिये गये।  

Isha

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