भारत के नक्शेकदम पर जापान, कहा-चीन से मुकाबले के लिए हिंद-प्रशांत में सैन्य उपस्थिति बढ़ाए यूरोप

Tuesday, Jun 22, 2021 - 01:08 PM (IST)

टोक्योः जापान ने  भारत के नक्शेकदम पर चलते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन से मुकाबला करने के लिए  यूरोपीय संघ से अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने का आग्रह किया है। जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने यूरोपीय संसद सुरक्षा और रक्षा पर उपसमिति वर्चुअल बैठक में  कहा कि बीजिंग द्वारा यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयासों और देश के विवादित हिस्सों का सैन्यीकरण करने के प्रयासों को रोकने के लिए यूरोप का ये कदम उठाना जरूरी है ।

 

जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी का ये बयान  दक्षिण तथा पूर्वी चीन सागर में बीजिंग की बढ़ती गतिविधियों कारण चीन और जापान के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है। उन्होंने कहा कि चीन की आक्रमता से निपटने के लिए  जापान और यूरोपीय संघ को एकजुट होना होगा । नोबुओ किशी ने कहा कि   यूरोपीय संघ की हिंद-प्रशांत में उपस्थिति चीन विरोधी  रणनीतिक कार्रवाई को मजबूत करेगी। किशी ने कहा कि जापान ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य संतुलन में बदलाव पर “नज़दीकी नज़र रखेगा”।

 

उन्होंने कहा कि तटरक्षक कानून के कारण सभी संबंधित देशों के न्यायोचित अधिकारों को कभी भी कम नहीं आंका जाना चाहिए और हम कभी भी ऐसा कुछ भी बर्दाश्त नहीं कर सकते जो पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर जैसे जल पर तनाव को बढ़ाए। जापान की विदेश नीति से परिचित एक सूत्र के अनुसार रक्षा मंत्री नोबुओ का  यह संबोधन यूरोपीय संघ को बीजिंग पर अधिक दबाव डालने के लिए जापान के प्रयासों का हिस्सा था। भारत की तरह जापान भी इस क्षेत्र में यूरोपीय संघ से अधिक भागीदारी चाहता है।

 

बता दें कि अप्रैल में पद ग्रहण करने के बाद वाशिंगटन में अपनी पहली आमने-सामने की बैठक में  जापानी प्रधान मंत्री योशीहिदे सुगा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागरों के साथ-साथ ताइवान जलडमरूमध्य पर चिंता व्यक्त की थी। इसके बाद  बीजिंग ने टोक्यो पर संयुक्त राज्य अमेरिका का “रणनीतिक जागीरदार” होने का आरोप लगाया था।

 

हांगकांग के प्रमुख दैनिक साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के प्रोफेसर लियू वेइदॉन्ग ने कहा कि जापान ने हाल के महीनों में चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने लिखा कि  जापान को लगता है कि चीन को लेकर बाइडेन  भी ट्रम्प युग की सख्त नीति अपना रहे हैं इसलिए उसे अब चीन के साथ संबंध सुधारने की आवश्यकता नहीं  रही।  
 

Tanuja

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