उत्तर कोरिया का परमाणु परीक्षण हिरोशिमा के मुकाबले 10 गुना शक्तिशाली : जापान

Wednesday, Sep 06, 2017 - 05:10 PM (IST)

तोक्यो: जापान ने उत्तर कोरिया के हालिया परमाणु परीक्षण के आकार में आज फिर से सुधार करते हुए कहा कि इसकी क्षमता तकरीबन 160 किलोटन है जो हिरोशिमा बम से दस गुना अधिक है।जापान ने दूसरी बार इसकी क्षमता की समीक्षा की है। पहले उसने इसकी क्षमता 70 और 120 किलोटन के बीच आंकी थी।   


पहले हुए परमाणु परीक्षणों के मुकाबले अधिक शक्तिशाली 
रक्षा मंत्री इत्सुनोरी ओनोडेरा ने संवाददाताओं से कहा कि 160 किलोटन का उनके मंत्रालय का अनुमान व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटीओ) के संशोधित परिमाण पर आधारित है। ओनोडेरा ने संवाददाताओं से कहा,‘‘यह पहले हुए परमाणु परीक्षणों के मुकाबले अधिक शक्तिशाली है।’’ वर्ष 1945 में अमरीका ने हिरोशिमा पर जो बम गिराया था उसकी क्षमता 15 किलोटन थी।  


हाइड्रोजन बम के परीक्षण से दुनियाभर में पैदा हुई चिंता 
मंत्रालय ने कहा कि बुधवार को ओनोडेरा ने अमरीका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस से टेलीफोन पर बात की और दोनों नेताओं ने उत्तर कोरिया पर ‘‘प्रत्यक्ष दबाव’’ बढ़ाने पर सहमति जताई। मंत्रालय ने बताया कि ओनोडेरा ने मैटिस से कहा, ‘‘उत्तर कोरिया का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम नए स्तर का गंभीर और आसन्न खतरा है।’’उत्तर कोरिया ने रविवार को लंबी दूरी की मिसाइल के लिए बनाए गए हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया जिसे लेकर दुनिया भर में चिंता पैदा हो गई।   


रूस ने अमरीका की मांग की खारिज
संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि अमरीका आने वाले दिनों में नए प्रतिबंधों वाला प्रस्ताव पेश करेगा लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को अमरीका की मांग को खारिज करते हुए कहा कि और अधिक प्रतिबंध लगाना ‘‘व्यर्थ’’ है। पुतिन की टिप्पणियों को इस बात को लेकर विश्व की प्रमुख शक्तियों के बीच मतभेद के तौर पर देखा जा रहा है कि उत्तर कोरिया पर कैसे लगाम लगाई जाए। रूस और चीन इस मुद्दे पर अमरीका और उसके सहयोगी देशों के खिलाफ है।  


जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे जब बृहस्पतिवार को रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में जब पुतिन से बातचीत करेंगें तो ऐसी संभावना है कि वह उत्तर कोरिया के उकसावे की कार्रवाई पर पुतिन से उनका समर्थन करने के लिए कहे।आबे ने बैठक के लिए रवाना होने से पहले संवाददाताओं से कहा,‘‘हमें यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि उत्तर कोरिया अपनी मौजूदा नीति में बदलाव लाए और यह समझे कि अगर उत्तर कोरिया अपनी मौजूदा नीति को जारी रखता है उसका कोई उज्ज्वल भविष्य नहीं है।’’ 

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