इजराइली सेना का हिजबुल्ला को एक और झटका, बेरूत हमले में शीर्ष कमांडर सुहैल हुसैनी भी किया ढेर
punjabkesari.in Tuesday, Oct 08, 2024 - 01:35 PM (IST)
International Desk: इजराइली सेना (Israeli army) ने सात अक्टूबर को हमास के हमले के एक साल पूरे होने के बाद मंगलवार को कहा कि उसने बेरूत में एक हमले में हिजबुल्ला के एक वरिष्ठ कमांडर (senior Hezbollah commander) को मार गिराया। सेना ने कहा कि हमले में सुहैल हुसैन हुसैनी (Suhail Hussein Husseini) मारा गया जो आतंकवादी समूह के साजोसामान, बजट और प्रबंधन की देखरेख के लिए जिम्मेदार था। अभी हिजबुल्ला ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। 7 अक्टूबर, 2024 को इजरायली डिफेंस फोर्सेज़ (IDF) ने बेरूत में एक एयरस्ट्राइक के दौरान उन्हें मार गिराया। यह हमला इजरायल की हिज़बुल्लाह के खिलाफ की जा रही बड़ी सैन्य कार्रवाई का हिस्सा था, जो क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच हुई। हु
सेना ने कहा कि हुसैनी ईरान (Iran) से आधुनिक हथियारों की आपूर्ति करने तथा हिजबुल्ला की विभिन्न इकाइयों में उनके वितरण में शामिल था तथा वह समूह की सैन्य परिषद का सदस्य था। इजराइल ने हाल के हफ्तों में किए हमलों में हिजबुल्ला के शीर्ष नेता हसन नसरल्ला तथा कई शीर्ष कमांडरों को मार गिराया है। उसने पिछले सप्ताह दक्षिणी लेबनान में सीमित जमीनी आक्रमण शुरू किया था। हिजबुल्ला ने कहा कि उसने अपने मृतक कमांडरों के स्थान पर नयी नियुक्तियां कर दी हैं। उसने गाजा पट्टी में संघर्ष विराम होने तक इजराइल में रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन हमले करते रहने का संकल्प जताया है।
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Hezbollah क्यों खास था Suhail Hussein Husseini
सुहै हुसैनी हिज़बुल्लाह के एक वरिष्ठ नेता और संगठन के लॉजिस्टिक्स यूनिट के कमांडर थे। हुसैनी का काम संगठन के लिए महत्वपूर्ण सामरिक और संचालन से जुड़े कार्यों को देखना था, जिसमें हथियारों की आपूर्ति, संसाधनों का प्रबंधन, और संगठन की युद्ध क्षमताओं को मज़बूत करने से जुड़े कार्य शामिल थे।सैनी का सफाया हिज़बुल्लाह के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह संगठन के मुख्य रणनीतिक और लॉजिस्टिक ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाते थे। हुसैनी जैसे उच्चस्तरीय नेता का खोना हिज़बुल्लाह के लिए बड़ा नुकसान है। यह संगठन को अंदरूनी रूप से कमजोर कर सकता है और उनके हथियारों की आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को बाधित कर सकता है। इजरायल का यह कदम हिज़बुल्लाह की युद्ध क्षमता को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, क्योंकि संगठन का प्रमुख ध्यान अब नए नेतृत्व को तैयार करने और मौजूदा ऑपरेशनों को स्थिर रखने पर होगा।