बेरूत विस्फोट में लापरवाही की हो रही जांच, दुनिया के कई देश मदद के लिए आगे आए

Thursday, Aug 06, 2020 - 01:32 PM (IST)

 

बेरूतः लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए भयानक विस्फोट मामले के जांचकर्ता बंदरगाह के मालगोदाम में विस्फोटक पदार्थ रखे जाने में संभावित लापरवाही की जांच कर रहे हैं और सरकार ने बंदरगाह के कई अधिकारियों को नजरबंद करने के आदेश दिए हैं। लेबनान के नेता इस व्यापक क्षति से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस भीषण विस्फोट के कारण अब तक करीब 150 लोगों की मौत हो चुकी है और 5,000 से ज्यादा घायल हैं। लोगों का गुस्सा सत्तारूढ़ उच्चवर्ग के खिलाफ बढ़ गया है। उनका मानना है कि लगातार कुप्रबंधन और लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ।

 

बेरूत का बंदरगाह और राजस्व कार्यालय लेबनान की सबसे भ्रष्ट संस्थाओं के रूप में कुख्यात है। जांच इस पर केंद्रित है कि 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट छह वर्षों से कैसे यहां जमा होता रहा और इसके बारे में कुछ क्यों नहीं किया गया। यह एक उच्च विस्फोटक रसायन है जिसका इस्तेमाल उर्वरकों में किया जाता है। बेरूत के गवर्नर मरवान अबौद ने सऊदी के मालिकाना हक वाले टीवी स्टेशन अल-हदात को बताया कि इस विस्फोट से 10 अरब डॉलर से लेकर 14 अरब डॉलर तक का नुकसान हुआ है और करीब 3,00,000 लोग बेघर हो गए हैं। विस्फोट के बाद जहां बचाव अभियान में जुटे कर्मी शवों की गिनती और मलबों में जिंदा लोगों की तलाश में जुटे हैं, वहीं कई देशों ने संकटग्रस्त देश की मदद के लिए हाथ बढ़या है। लेबनान पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इस संकट में उसकी मुश्किल को और बढ़ा दिया है। ऑस्ट्रेलिया से लेकर इंडोनेशिया और यूरोप से लेकर अमेरिका तक सहायता पहुंचाने और तलाश दल को भेजने के लिए तैयार हैं। फ्रांस और लेबनान के बीच विशेष संबंधों को प्रदर्शित करते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों बृहस्पतिवार को लेबनान का दौरा करने वाले हैं।

 

पेरिस ने बुधवार को विशेषजों, बचाव कर्मी और जरूरी आपूर्ति की दो खेप भेजी। वहीं, यूरोपीय संघ अपने नागरिक बचाव तंत्र का इस्तेमाल करके आपात कर्मियों और उपकरणों कों भेज रहा है। संघ के आयोग ने कहा कि उसकी योजना तत्काल वाहनों के साथ 100 दमकल कर्मियों, खोजी कुत्ते और उपकरण भेजने की है, ताकि शहरी क्षेत्र में फंसे लोगों का पता लगाया जा सके। चेक रिपब्लिक, जर्मनी, ग्रीस, पोलैंड और नीदरलैंड भी सहयोग के लिए आए हैं और कई अन्य देश में भी इस प्रयास में जुट सकते हैं। साइप्रस भी बचाव कर्मियों का दल और खोजी कुत्ते भेज रहा है। रूस ने मोबाइल अस्पताल स्थापित किए हैं और 50 आपातकर्मी और चिकित्सा कर्मियों को भेजा है। इसके अलावा रूस के तीन और विमान अगले 24 घंटे में लेबनान पहुंचने वाले हैं।

 

वहीं ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने शुरुआत में 20 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की मदद लेबनान को देने का संकल्प लिया है, ताकि राहत कार्य में सहायता पहुंचाई जा सके। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा कि यह सहायता विश्व खाद्य कार्यक्रम और खाद्य, देखभाल और जरूरी सामान के लिए रेड क्रॉस को दिया जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि लेबनान में हुआ विस्फोट जानबूझकर किया गया हमला हो सकता है। हालांकि लेबनान के अधिकारी और उसके रक्षा प्रमुख कह चुके हैं कि यह एक हादसा प्रतीत होता है। ट्रंप ने जोर दिया, ‘‘जो भी हुआ, वह भयानक है, लेकिन वे नहीं जानते हैं कि यह क्या है।'' ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि यह एक ‘भयानक हमला' है।

Tanuja

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