वक्त का सितम: वित्त मंत्री की कुर्सी संभालने वाला ये शख्स आज टैक्सी चलाने को मजबूर

Monday, Mar 21, 2022 - 12:28 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: भले ही अमरीका और कई पश्चिमी देश भयंकर युद्ध के दौरान के रूस के खिलाफ यूक्रेन की कई तरह से मदद कर रहे हैं, लेकिन इतिहास गवाह है कि युद्ध हर तरह से मानव जीवन और सृष्टि के लिए घातक हैं। युद्ध अमीर से गरीब और राजा से रंक तक सभी को निगल जाते हैं। बची कुची जिंदगियां ताश के पत्तों की तरह बिखर जाती हैं। जिन्हें समेटने में लिए फिर से बरसों लग जाते हैं। इसे समझने के लिए हमें इतिहास के बहुत ज्यादा पन्ने कुरेदने की जरूरत नहीं पड़ेगी, यहां बात कर रहे हैं अफगानिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री खालिद पाएंदा की जो देश पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अब अमरीका में टैक्सी चला कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। 

यह युद्ध का ही नतीजा है कि आज का यह टैक्सी ड्राइवर गुजरे कल में अफगानिस्तान का 6 अरब डॉलर का खजाना संभालता था, लेकिन वक्त ऐसा बदला कि आलिशान गाड़ियों में सफर करने वाला ये शख्स पेट भरने के लिए स्टीयरिंग थामने को मजबूर हो गया। अफगानिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर रहे खालिद पाएंदा अब यूएस में टैक्सी चलाते हैं। तालिबान के कहर से बचने के लिए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी सहित उनके कई मंत्रियों ने मुल्क छोड़ दिया था। खालिद पाएंदा भी उनमें से एक हैं, हालांकि अब उनकी आर्थिक स्थिति गनी जैसी नहीं है।

अपने मुल्क लौट नहीं सकता..
वॉशिंगटन पोस्ट को दिए ऐ साक्षात्कार में वह कहते हैं कि अगले दो दिन में उन्हें 50 ट्रिप्स पूरी करनी हैं। इसके बदले मुझे 95 डॉलर का बोनस मिलेगा। घर में पत्नी और चार बच्चे हैं। कुछ पैसे बचाए थे, उनसे भी काम चल रहा है। खालिद बताते हैं कि मेरी जिंदगी का एक हिस्सा अफगानिस्तान में गुजरा है और अब मैं अमेरिका में हूं, सच कहूं तो मैं अब कहीं का नहीं रहा। अपने मुल्क लौट नहीं सकता और यहां का कोई ठिकाना नहीं है। खालिद बताते है कि तालिबान के कब्जे के कुछ दिन पहले उन्होंने अफगानिस्तान के वित्त मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने बताया दरअसल लेबनान की एक कंपनी का पेमेंट नहीं हो पाया था और इसी वजह से राष्ट्रपति अशरफ गनी मुझसे नाराज थे। उन्होंने मुझे खूब खरीखोटी सुनाई थी।

अफगानिस्तान की हार की बताई वजह
पाएंदा का परिवार पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान से अमेरिका पहुंच चुका था। उन्होंने बताया कि दुनिया ने हमें 20 साल दिए। हर तरह की मदद दी लेकिन बदकिस्मती से हम नाकाम रहे। भ्रष्टाचार की वजह से हमारा सिस्टम बिखर गया। हकीकत ये है कि हमारी सरकार ने मुल्क के लोगों को धोखा दिया। मंत्री जानते थे कि तालिबान मुल्क पर कब्जा कर लेगा। वे वॉट्सएप पर लोगों को मुल्क छोड़ने के मैसेज भेज रहे थे। हालांकि पाएंदा अपनी स्थिति के लिए किसी को दोष नहीं देते। वह अफगानिस्तान की हालात पर भारी मन से कहते हैं, हम लोगों ने ताश के पत्तों की तरह घर तैयार किया था, जो देखते ही देखते तबाह हो गया। पाएंदा कहते हैं कि हमारे पास सिर्फ छोटा सा और आखिरी मौका था, लेकिन सरकार में हम में से कुछ ने चोरी करना तय किया। हमने अपने लोगों को धोखा दिया।

2016 में बने थे डिप्टी फाइनेंस मिनिस्टर
ऐसा पहली बार नहीं है कि पाएंदा को अपना देश छोड़ना पड़ा है। 1992 में वह सिर्फ 11 साल के थे, जब गृह युद्ध की वजह से उनके परिवार को भागकर पाकिस्तान जाना पड़ा था। रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक बाद जब अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से बेदखल किया तो वह अफगानिस्तान लौटे और वहां के पहले प्राइवेट यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक बने थे। वह मानते हैं कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में लोकतंत्र, महिला अधिकार और मानवाधिकार की लंबी लड़ाई लड़ी। 2008 में खालिद पहली बार अमेरिका आए थे और अमेरिका के ही कहने पर ही अशरफ गनी ने 2016 में उन्हें डिप्टी फाइनेंस मिनिस्टर बनाया था। खालिद लाइफ जीने के बाद इस तरह टैक्सी चलाना खालिद को दुखी तो करता है, लेकिन उनके पास सच्चाई को स्वीकारने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 

Anil dev

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