अफगानिस्तान में सदियों से चली आ रही घिनौनी परम्परा, छोटे लड़कों से करवाया जाता है ये शर्मनाक काम!

Wednesday, Aug 25, 2021 - 05:10 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होते ही लोगों को उसके द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों का डर सताने लगा है। यही वजह है कि बहुत बड़ी संख्या में लोग अफगानिस्तान से निकलना चाहते हैं। आशंका यह भी है कि तालिबान के शासन में बहुत सारी कुप्रथाएं शुरू हो जाएंगीं। लेकिन इस देश में सदियों से एक कुप्रथा चली आ रही है, जिसे वहां की लोकतांत्रिक सरकार भी दूर नहीं कर पाई। इस कुप्रथा को बच्चा बाजी के नाम से जाना जाता है। सिर्फ अफगानिस्तान ही नहीं पाकिस्तान के कुछ इलाकों में भी बच्चा बाजी का चलन है। आइए जानते हैं इस कुप्रथा के बारे में और आखिर दुनिया भर से विरोध के बावजूद ये अभी तक चलन में क्यों है?



लड़को को पहनाए जाते हैं लड़कियों के कपड़े
असल में बच्चा बाजी यौन गुलामी और बाल वेश्यावृत्ति से जुड़ी है। एक तरफ जहां अफगानिस्तान में समलैंगिकता को गैर-इस्लामिक और अनैतिक माना जाता है वहीं देश में ये कुप्रथा आम है। यह एक ऐसी कुप्रथा है जिसमें अमीर और ताकतवर लोगों द्वारा नाबालिग लड़कों से पार्टियों में डांस करवाया जाता है। इतना ही नहीं उन्हें लड़कियों के कपड़े पहनाए जाते हैं और लड़कियों की तरह मेकअप भी करवाया जाता है। कहते हैं कि इस दौरान छोटे लड़कों के साथ पुरुषों द्वारा यौन शोषण भी किया जाता है। बच्चा बाजी के लिए अक्सर उन लड़कों का चयन किया जाता है, जो गरीब और कमजोर हों। कुछ लड़के तो एक बेहतर जीवन की तलाश में इस तरफ आकर्षित हो जाते हैं। इसके अलावा कई बार तो बच्चों को किडनैप करके बेच भी दिया जाता है। 



अत्याचार का शिकार होते रहते हैं लड़कें
ये लड़के अत्याचार का शिकार होते रहते हैं और इस घिनौने दलदल में फंसते चले जाते हैं। अफगानिस्तान में बच्चा बाजी को अवैध माना जाता है लेकिन इसमें रसूखदार और सशस्त्र पुरुषों का हाथ होने के कारण शायद ही ये कानून पूरी तरह से लागू किए गए हों। यही कारण है कि इस प्रथा के अवैध होने और अंतरराष्ट्रीय चिंता के बावजूद भी इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकी है। आरोप लगते रहे हैं कि अफगानिस्तान में हमले के बाद अमेरिकी सेना भी  जानबूझकर बच्चा बाजी को नजरअंदाज करती रही। 

क्या कहना था अमेरिकी सेना का
इस पर विवाद होने के बाद अमेरिकी सेना का कहना था कि इस तरह के शोषण को देखना काफी हद तक "स्थानीय अफगान सरकार" की जिम्मेदारी है।  तालिबान की बात करें तो उसने 1996 से 2001 के अपने पहले शासनकाल में बच्चा बाजी के लिए मौत की सजा रखी थी। हालांकि रिपोर्ट्स के अनुसार यह सजा ज्यादातर मामलों में पीड़ित लड़कों को ही मिली और शक्तिशाली अपराधी बच निकलते थे। अब अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान सत्ता में लौट आया है। ऐसे में देखना यह होगा कि आतंकी संगठन इस संबंध में क्या कदम उठाएगा।  

Anil dev

Advertising