क्या खतरे में इस्लाम? महाकुंभ में मुसलमानों को लेकर छिड़ी अंतर्राष्ट्रीय बहस, मौलाना का विवादित बयान चर्चा में
punjabkesari.in Tuesday, Jan 07, 2025 - 05:58 PM (IST)
International Desk: भारत में हर 12 वर्ष में आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला, इस बार मुसलमानों की भागीदारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय बहस का केंद्र बन गया है। प्रयागराज में इस महीने शुरू हो रहे महाकुंभ को लेकर कुछ संगठनों ने मुसलमानों के प्रवेश पर सवाल उठाए हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने महाकुंभ में मुसलमानों के धर्मांतरण की आशंका जताई। इसके बाद, रजवी ने मुसलमानों को महाकुंभ में न जाने की सलाह दी। हालांकि, रजवी ने पिछले साल नवंबर में अखाड़ा परिषद द्वारा मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध की मांग का विरोध किया था।
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वहीं, कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस फैसले पर विरोध किया है। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि इस्लाम इतना कमजोर नहीं है कि किसी मेला या धार्मिक स्थल को देखने से मुसलमानों का धर्मांतरण हो जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई मुसलमान महाकुंभ में ज्ञानवर्धन के लिए जाता है, तो इसमें कोई गलत बात नहीं है।अखाड़ा परिषद और अन्य हिंदू संगठन महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।
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कुछ हिंदू नेता, जैसे बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री, ने भी इस कदम का समर्थन किया है। इस विवाद ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी धार्मिक सहिष्णुता और भारत की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाए हैं। मानवाधिकार संगठनों ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए भारत से मुसलमानों को धार्मिक आयोजन में समान रूप से भाग लेने का अधिकार देने की अपील की है।रजवी ने कहा कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि महाकुंभ में मुसलमानों का धर्मांतरण कराने की योजना हो सकती है, और इसलिए उन्होंने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के सामने रखा है।
उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों को इस आयोजन से दूर रहने की सलाह दी गई थी, ताकि वे किसी भी तरह की परेशानी से बच सकें। जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना काब रशीदी ने कहा कि इस प्रकार के बयान संविधान के खिलाफ हैं। उनका कहना था कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है, और महाकुंभ में मुसलमानों को प्रतिबंधित करने की बात संविधान की भावना के खिलाफ है।