‘शादी से पहले सेक्स’ पर पाबंदी को लेकर इंडोनेशिया में हिसंक प्रदर्शन

Wednesday, Sep 25, 2019 - 02:08 PM (IST)

जकार्ताः इंडोनेशिया में ‘शादी से पहले सेक्स’ पर पाबंदी को लेकर विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं। इस विवादित विधेयक को लेकर कई शहरों समेत दूसरे हिस्सों में प्रदर्शन हुए। पुलिस ने संसद के सामने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर आंसू गैस के गोले और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकाला। युवा छात्रों ने भी इन प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई जगहों पर विरोध प्रदर्शऩ हिंसक हो गए। राजधानी जकार्ता में प्रदर्शनकारियों ने संसद के सामने प्रदर्शन किया और संसद के स्पीकर बमबांग सोसैतियो से मिलने की मांग की। यहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई।

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके और पुलिस ने जवाब में उन पर आंसू गैस के गोले और पानी की बौंछारें फेंके। प्रदर्शन के दौरान एक महिला प्रदर्शनकारी अपने हाथों में तख्ती लिए नज़र आई और तख्ती पर लिखा था, “मेरी टांगों के बीच की जगह सरकार की नहीं है। ”प्रस्तावित इंडोनेशियाई बिल में ज़्यादातर मामलों में गर्भपात और ‘राष्ट्रपति के अपमान’ को ग़ैरक़ानूनी माना गया है। विरोध प्रदर्शनों के बीच यह विवादित विधेयक फ़िलहाल पास नहीं हुआ है लेकिन प्रदर्शनकारियों को चिंता है कि आख़िरकार इसे संसद के रास्ते पास करा दिया जाएगा।

  • क्या है विवादित बिल ?
  • प्रस्तावित बिल में एक नया क्रिमिनल कोड है, जो कुछ इस तरह है:
  • -शादी से पहले सेक्स को दंडनीय अपराध माना गया है और इसके लिए एक साल ज़ेल की सज़ा हो सकती है।
  • -शादी से पहले साथ रहने, लिव-इन रिश्ते में रहने को भी अपराध माना गया है और इसके लिए छह महीने तक की जेल हो सकती है।
  • -राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, धर्म, सरकारी संस्थाओं और राष्ट्रीय प्रतीकों जैसे राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रगान का ‘अपमान करना’ ग़ैरक़ानूनी है।
  • -गर्भपात दंडनीय अपराध है। बलात्कार और मेडिकल इमर्जेंसी के मामलों के अलावा बाकी स्थितियों में गर्भपात कराने पर चार साल के लिए जेल की सज़ा हो सकती है।
  •  

पहले इस विधेयक पर मंगलवार को मतदान होना था लेकिन राष्ट्रपति जोको विडोडो ने इसे शुक्रवार तक के लिए टाल दिय।. विडोडो ने कहा कि विधेयक पर और विचार किए जाने की ज़रूरत है। भले ही राष्ट्रपति ने ये कह दिया हो कि विधेयक पर और ज़्यादा विचार किए जाने की ज़रूरत है, सेकिन लोगों को ये चिंता सता रही है कि विधेयक को आख़िरकार किसी न किसी तरह संसद के दरवाजे से पारित करा ही दिया जाएगा। लोगों में इस बात को लेकर ग़ुस्सा है कि नए विधेयक में भ्रष्टाचार उन्मूलन आयोग को कमज़ोर कर दिया गया है। भ्रष्टाचार उन्मूलन आयोग में भ्रष्टाचार के मामलों में कार्यवाही करने वाली प्रमुख संस्था है।
 

Tanuja

Advertising