भारत के भीतर ही मंडरा रहा है सबसे बड़ा खतरा!

Wednesday, Nov 25, 2015 - 06:00 PM (IST)

वशिंगटन: भारत की बढ़ती आर्थिक वृद्धि के कारण चीन की नरमी के बावजूद वैश्विक आर्थिक परिदृश्य बेहतर नजर आता है। यह बात मशहूर एजेंसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट ने कही, हालांकि, आगाह किया कि भारत को सबसे बड़ा खतरा देश के भीतर से ही है। एजेंसी ने वैश्विक निवेशक समुदाय को आगाह किया कि भारत मुख्य तौर पर कृषि प्रधान देश है जो इंद्र देवता पर निर्भर है और अब वैश्विक अर्थव्यवस्था की किस्मत का फैसला करने में बारिश की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।  
 
एजेंसी के प्रमुख चार्ल्स श्वाब ने कल जारी एक विश्लेषण में कहा च्च्चीन की नरमी के बावजूद भारत की बढ़ती आर्थिक वृद्धि के कारण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य बेहतर नजर आता है। अल्पकालिक तौर पर केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती और सरकार की आेर से बुनियादी ढांचे पर खर्च से भारत में वृद्धि बढ़ाने में मदद मिलेगी।
 
उन्होंने कहा कि भारत के लिए सबसे बड़ा जोखिम भीतर से ही है। चीन में निर्यात की मांग पर निर्भरता के विपरीत भारत की अर्थव्यवस्था उपभोक्ता व्यय पर ज्यादा निर्भर है।   
 
उन्होंने कहा ‘‘दीर्घकालिक स्तर पर निवेशकों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि भारत की अनुठी शक्ति इस बात पर निर्भर करती है कि मुद्रास्फीति नियंत्रित रहे, ढांचागत आर्थिक सुधार जड़ें जमाए और सूखे के हालात सुधरें ताकि विश्व की अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक मजबूती से वृद्धि दर्ज कर रही अर्थव्यवस्था को मदद मिले।’’
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