भारतवंशी इंद्राणी दास ने जीता अमरीका का सर्वोच्च विज्ञान पुरस्कार

Tuesday, Mar 28, 2017 - 02:55 PM (IST)

न्यूयॉर्कः 17 साल की इंद्राणी दास को अमेरिका का सर्वोच्च विज्ञान पुरस्कार ‘रीजेनेरन साइंस टैलेंट सर्च’ मिला है। इसे साइंस का जूनियर नोबेल कहा जाता है। दिमागी चोट और बीमारी के इलाज पर रिसर्च के लिए इंद्राणी को यह अवार्ड मिला है। इसके तहत उसे करीब 1.64 करोड़ रुपए भी मिले हैं। इसके अलावा एक अन्य भारतीय-अमरीकी  अर्जुन रामानी ने तीसरे स्थान पर कब्जा कर 150,000 डॉलर और  अर्चना वर्मा ने 5वां स्थान हासिल कर 90,000 डॉलर का पुरस्कार जीता है।

भारत में ज्यादातर बच्चों के माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे बड़े होकर डॉक्टर बनें लेकिन इंद्राणी के माता-पिता की सोच इससे अलग है। इंद्राणी कहती हैं, “मेरे पैरेंट्स कहते हैं तुम कुछ भी करो पर डॉक्टर मत बनना, क्योंकि इसकी पढ़ाई काफी लंबी और खर्चीली होती है। पर मैंने तय किया कि डॉक्टर बनकर ही रहूंगी। इसलिए स्कूल में मैडीकल फील्ड के एक साइंस प्रोजैक्ट से जुड़ गई। मैं आगे चलकर फिजीशियन साइंटिस्ट बनना चाहती हूं। मुझे मरीज देखना पसंद है। साथ ही उनके लिए रिसर्च करना भी पसंद करती हूं।’

इंद्राणी के पैरेंट्स विद्युत और तानिमा दास मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले हैं। वे न्यूजर्सी में बैंकर्स हैं। इंद्राणी हैक्केनसैक के मैडीकल साइंस टैक्नोलॉजी में हाईस्कूल फाइनल ईयर की स्टूडैंट हैं। इनके अलावा भारतीय मूल के ही अर्जुन रमानी और अर्चना वर्मा को क्रमश: तीसरा और 5वां स्थान मिला है। प्रतियोगिता की अंतिम सूची में स्थान पाने वाले 40 बच्चों में 8 भारतीय मूल के थे। प्रतियोगिता में 1,700 से अधिक बच्चों ने भाग लिया था।

अमरीका का यह साइंस टैलेंट सर्च अवार्ड हाई स्कूल तक के छात्रों को मिलता है। यह अमरीका के सबसे पुराने विज्ञान पुरस्कारों में से एक है।  इसकी शुरुआत 1942 में हुई थी। तब इसकी प्रायोजक वेस्टिंगहाउस कंपनी थी। 1998 से 2016 तक इंटेल इसकी प्रायोजक रही। 2017 में मेडिकल कंपनी रीजेनेरन इसकी प्रायोजक बनी। अब तक इस पुरस्कार को पाने वाले बच्चों में से 12 आगे चलकर नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं।

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