"चीन के सैन्य विकास को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा है भारत"

punjabkesari.in Monday, May 08, 2017 - 05:33 PM (IST)

बीजिंग: चीन में सरकार संचालित एक अखबार ने कहा कि भारत को बीजिंग के सैन्य विकास की या चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी चिंताओं की ' बढ़ा चढ़ाकर ' व्याख्या नहीं करनी चाहिए। अखबार ने यह बात ऐसे समय कही है जब कुछ दिन पहले भारत के सेना प्रमुख ने नई दिल्ली को 'भविष्य के प्रतिद्वंद्वियों की जवाबी घेराबंदी की सलाह दी थी।
 
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रकाशन ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में कहा गया है कि भारत को चिंता है कि भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद में चीन जानबूझकर दखल दे रहा है और वह 'सीपीईसी(जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है) को विवादित क्षेत्र पर इस्लामाबाद के कब्जे को वैधता देने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।' इसने कहा ' बीजिंग और इस्लामाबाद को भारत संभावित खतरे के रूप में देख रहा है और वह बीजिंग की 'वन बेल्ट एंड वन रोड' पहल तथा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे(सीपीईसी)को लेकर संदेह कर रहा है।'

अखबार ने कहा कि' भारत स्थिति को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहा है।' इसने कहा,‘‘बीजिंग नई दिल्ली की संप्रभुता संबंधी चिंताओं का सम्मान करता है और भारत तथा पाकिस्तान दोनों की इच्छाओं के अनुरूप होने की शर्त पर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करना चाहता है।' चीनी दैनिक में यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब पिछले सप्ताह जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि भारत को सुरक्षा परिदृश्य पर गौर करते हुए ईरान, ईराक और अफगानिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध रखने चाहिए।
 
रावत ने कहा था कि इस तरह की रणनीति से पाकिस्तान के लिए दोतरफा दुविधा पैदा होगी और इससे अन्य कठिन पड़ोसी चीन से निपटने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने सलाह दी थी कि भारत को ' भविष्य के प्रतिद्वंद्वियों की जवाबी घेराबंदी करनी चाहिए।' भारतीय सेना प्रमुख की इस टिप्पणी का उल्लेख करते हुए चीनी अखबार ने कहा कि चीन शांतिपूर्ण विकास की वकालत करता है और यह क्षेत्र में न तो कभी प्रभुत्व चाहता है और न ही चाहेगा।
 
अखबार ने कहा कि चीन के रक्षा बजट में इस साल लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि होगी जो 2010 के बाद सबसे कम वृद्धि है। बीजिंग का सैन्य विकास ' इसके राष्ट्रीय निर्माण का हिस्सा है और नई दिल्ली को इसकी बढ़ा चढ़ाकर व्याख्या नहीं करनी चाहिए।' इसने कहा कि भारतीय मीडिया कहता है कि वर्ष 2017 के लिए चीन का सैन्य विकास सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.3 प्रतिशत है जो भारत के सैन्य खर्च के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है।' स्पष्ट बात की जाए तो यदि भारत का सैन्य खर्च भी इसी स्तर तक बढ़ा दिया जाए तब भी वह अभी अपनी सैन्य क्षमता के मामले में अपने उत्तरी पड़ोसी 'चीन' से पीछे रहेगा। भारत के विमानवाहक का विकास इसकी शुरुआत के बावजूद काफी धीमा है।चीन के पास एक नवीकृत विमानवाहक है और हाल में इसने देश में निर्मित एक विमानवाहक शुरू किया है जिसे संचालित होने में कुछ साल लगने की उम्मीद है। एक तीसरे विमानवाहक के निर्माणाधीन होने की खबर है।


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