नजरिया: तो आतंकवाद पर क्यों मौन हैं ''तालिबानी खान ''

Friday, Jul 27, 2018 - 02:40 PM (IST)

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा ): आपने वजीर -ए -आजम बनने से पहले इमरान खान की मुल्क के नाम दी गई तहरीर सुनी होगी। उन्होंने पड़ोसी मुल्कों के साथ ताल्लुकात सुधारने की मंशा जाहिर की है, लेकिन उनके पड़ोसी मुल्कों की तरजीह की फेरहिस्त पर ध्यान दिया क्या ? उन्होंने चीन से शुरू किया और चीन पर खत्म। चीन के बाद ईरान, फिर अफगानिस्तान, सऊदी और सबसे अंत में हिंदुस्तान। हिन्दुस्तान की चर्चा के शुरू में उन्होंने यह  साफ किया कि कश्मीर में बहुत ज्यादा तशद्दु हो रही है, भारतीय फौज लोगों के हकूक खत्म कर रही है। ..और फिर बड़ी चतुराई से उन्होंने बात घुमाते हुए कहा कि यह ब्लेम गेम  का खेल है जिसे ख़त्म करना होगा और उसका जरिया टेबल पर बैठकर बातचीत करना है। जहां तक  भारत -पाक के बीच बातचीत का सवाल है हम भी इसके  हक़ में हैं। समस्याओं का हल बंदूकों में नहीं बल्कि बातचीत में ही है, लेकिन इमरान खान ने यह नहीं बताया कि क्या पाकिस्तान इसके लिए माहौल भी मुहैया कराएगा? भारत कई बार साफ कर चूका है कि उसे बातचीत से परहेज नहीं है , लेकिन उसके लिए पाकिस्तान को सीमा पार से  फायरिंग और खासकर आतंकवाद की सप्लाई रोकनी होगी, लेकिन इमरान खान ने तो आतंकवाद  का जिक्र तक नहीं किया।



उन्होंने यह जरूर कहा कि  अगर हिंदुस्तान एक कदम चलेगा तो पाकिस्तान दो कदम चलेगा। तो इसे क्या समझा जाए ।  उन्होंने तो गेंद भारत के पाले में डाल दी ,जबकि पहल उनकी तरफ से होनी है। अपने यहां से तो हमेशा बेहतर संकेत और सन्देश दिया गया है।  अटल बिहारी वाजपेयी बस लेकर गए , उन्होंने कारगिल कर दिया। मोदी जन्मदिन की बधाई  देने गए , उन्होंने उड़ी कर दिया। हमने रमज़ान सीज फायर किया। उन्होंने गोलीबारी और आतंकी घुसपैठ बढ़ा दी। इसलिए जनाब इमरान खान न्याजी (या बर्की ) को समझना चाहिए कि पहल हिंदुस्तान को नहीं पाकिस्तान को करनी है। इमरान खान ने पाकिस्तान में तालीम, तरक्की और पड़ोसी मुल्कों से तिज़ारत बढ़ाने की बात कही है। तो  क्या भारत में नशे की खेपें भेजकर की जा रही घिनौनी तिजारत को पाकिस्तान लगाम देगा?  इन सवालों का जवाब जरूरी है ,लेकिन उन्होंने  इसकी चर्चा से परहेज किया. तो इसे क्या समझा जाए।

चुनावी नतीजों से सबक लें इमरान 
 इमरान खान को चुनावी नतीजों से ही इस मामले में सबक लेना चाहिए। पाकिस्तान की जनता ने कश्मीर के नाम पर भड़काने वाले आतंकी हाफिज  सईद को बुरी तरह नकारा है। 265  में से एक भी सीट पर आतंकी हाफिज की पार्टी को जीत नहीं मिली है और एक तरह से उन्हें और उनके कटटरवाद को पाक आवाम ने खुदा हाफिज कह दिया है। क्या इमरान इससे सबक लेंगे और आतंक पर लगाम लगाएंगे। वैसे भी उन्होंने 19 दिन में  भ्ष्र्टाचार और नब्बे दिन में आतंक समाप्त करने का वादा चुनाव प्रचार में किया था। क्या उसपर शब्दश: अम्ल होगा। और फिर मुल्क में तरक्की और नया पाकिस्तान बनाने की बात करने वाले इमरान खान को  इस बात का इल्म होना भी जरूरी है की पाकिस्तान को यू एन की फाइनेंशियल टास्क फ़ोर्स ने  ग्रे लिस्ट में डाला है। 



अब उसे ब्लैक लिस्ट में डाले जाने  की तैयारी है। उन्हें अगर यह पता होगा तो यह भी मालूम होगा कि ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि पाकिस्तान पर आतंक की इमदाद करने के संगीन आरोप हैं जिसके सबूत कई बार सार्वजानिक हो चुके हैं। यानी  इमरान खान कुछ भी कह लें ,जब तक वे आतंक का पोषण बंद नहीं करते उनकी कोई बात ,कोई मंशा, कोई तहरीर और तकरीर सिरे नहीं चढऩे वाली।  इमरान खान को इस बात पर अपना स्टैंड स्पष्ट करना ही होगा। वर्ना वे भी अपने से पहले हुए उन 29 प्रधानमंत्रियों की जमात का हिस्सा बन जाएंगे जिनमे से एक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।  

Anil dev

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