चीन की ''आक्सीजन'' पर चल रहे पाकिस्तान को कैसे संभालगे इमरान

Thursday, Aug 02, 2018 - 12:30 PM (IST)

पेशावरः पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए चुनाव में दो दशक पहले बनी तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी  के अध्यक्ष व पूर्व क्रिकेटर इमरान ख़ान  इस महीने गठबंधन सरकार बनाने जा रहे हैं और वो पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री होंगे। ख़ान उस देश का प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं जो क़र्ज़ के जाल में लगातार फंसता जा रहा है। इमरान ख़ान 11 जुलाई को पीएम पद की शपथ लेंगे । पूर्व क्रिकेटर सोशल सेक्टर में खर्च को बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि  वो चीन की आक्सीजन पर टिकी  बेहाल अर्थव्यवस्था को कैसे संभाल पाएंगे?


इस समय पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति सबसे बुरे दौर में है।  पाँच साल पहले जब नवाज़ शरीफ़ ने प्रधानमंत्री पद संभाला था, उसकी तुलना में अब पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार आधा हो गया है। विश्लेषकों के मुताबिक पहले की सरकार ने चीन के वन बेल्ट वन रोड में इतना खर्च किया कि मुल्क का ख़जाना आख़िरी सांसें ले रहा है।पाकिस्तान की मौजूदा हालात पर कहा जा रहा है कि वो अपना क़र्ज़दाता बदल सकता है, लेकिन क़र्ज़ के अलावा कोई विकल्प नहीं है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले दो साल से 5 फ़ीसदी की दर से आगे बढ़ रही है. इस वृद्धि दर में चीनी निवेश की बड़ी भूमिका है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि तीन सालों के भीतर पाकिस्तान का क़र्ज़ भुगतान उसके सभी तरह के टैक्स राजस्व के आधा से भी ज़्यादा हो जाएगा।  पाकिस्तान 13वीं बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में जाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन यह भी उसके लिए इतना आसान नहीं है। 

पाकिस्तान में चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत उसकी मुख्य रेलवे लाइन पर भी काम चल रहा है। पाकिस्तान में अब भी रेलवे के ज़्यादातर इंजन डीज़ल चालित ही हैं। साल 2022 तक सभी लाइनों का दोहरीकरण होना है। अगर ये काम हो जाते हैं तो पाकिस्तान में ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी। वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत पाकिस्तान में जितने काम हो रहे हैं वो चीनी पूंजी की बदौलत आगे बढ़ रहे हैं।  चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर 62 अरब डॉलर की परियोजना है और इसमें लगने वाले पैसे का बड़ा हिस्सा चीन का है।

पाक अर्थव्यवस्था के भीतर जो संकट है वो काफ़ी गहरा और स्पष्ट है। चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का एक संकट जो सबसे गहरा है, वो है चीन से आयात बढ़ना। कंस्ट्रक्शन उत्पादों का आयात चीन से करने के लिए पाकिस्तान पर काफ़ी दबाव रहता है। पाकिस्तान के सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018 में चीन से पाकिस्तान का व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर का है और पिछले पांच सालों में यहा पांच गुना बढ़ा है। नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान का कुल व्यापार घाटा बढ़कर 31 अरब डॉलर हो गया।पिछले दो सालों में पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में 10 अरब डॉलर की कमी आई है।

अमरीकी थिंक टैंक द सेंटर फोर ग्लोबल डिवेलपमेंट ने मार्च महीने में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान दुनिया के उन आठ देशों में शामिल है जो चीन के वन बेल्ट वन रोड में शामिल होने के कारण क़र्ज़ के जाल में उलझ चुका है। दुनिया भर के विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान के पास अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ब्रिटेन के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का कहना है, ''नई सरकार को आपातकालीन स्थिति में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जाना पड़ेगा।ऐसा कैबिनेट गठन के तत्काल बाद ही होगा। ''


 

Tanuja

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