ब्रिटेन के सबसे अमीर शख्स थे गोपीचंद पी हिंदुजा, अपने पीछे छोड़ गए हैं अरबों की संपत्ति
punjabkesari.in Wednesday, Nov 05, 2025 - 06:31 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः भारतीय मूल के मशहूर उद्योगपति गोपीचंद पी. हिंदुजा (Gopichand P. Hinduja) का मंगलवार, 4 नवंबर को लंदन में निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे। इसी साल उन्हें ब्रिटेन का सबसे अमीर व्यक्ति घोषित किया गया था। गोपीचंद हिंदुजा, हिंदुजा समूह के सह-अध्यक्ष और हिंदुजा परिवार के सबसे प्रमुख सदस्य थे। उनके निधन के साथ ही भारतीय प्रवासी उद्योग जगत के एक युग का अंत हो गया।
11 सेक्टरों में फैला था हिंदुजा साम्राज्य
गोपीचंद हिंदुजा ने अपने भाई श्रीचंद हिंदुजा (जिनका निधन 2023 में हुआ था) के साथ मिलकर Hinduja Group को एक छोटे पारिवारिक व्यवसाय से एक वैश्विक औद्योगिक शक्ति में बदल दिया। उनके नेतृत्व में समूह ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, फाइनेंस, आईटी, हेल्थकेयर, एनर्जी, मीडिया, इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट जैसे 11 प्रमुख क्षेत्रों में सक्रिय है।
समूह की प्रमुख कंपनियां:
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अशोक लेलैंड (Ashok Leyland) – भारत की अग्रणी कमर्शियल वाहन निर्माता
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इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) – देश के प्रमुख निजी बैंकों में से एक
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नेक्स्ट डिजिटल लिमिटेड (NXTDigital) – डिजिटल मीडिया और ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र में अग्रणी
ब्रिटेन का सबसे अमीर परिवार
“द संडे टाइम्स रिच लिस्ट 2025” के अनुसार, हिंदुजा परिवार की कुल संपत्ति £32.3 बिलियन (लगभग ₹3.9 लाख करोड़) आंकी गई है। यह उन्हें लगातार तीसरे साल यूके का सबसे धनी परिवार बनाती है। 2024 में भी हिंदुजा परिवार ने £37 बिलियन की अनुमानित संपत्ति के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया था।
मुंबई से लंदन तक का सफर
गोपीचंद हिंदुजा का जन्म 1940 में हुआ था। 1959 में उन्होंने अपने पारिवारिक व्यवसाय में कदम रखा, जब हिंदुजा ग्रुप मुंबई में आधारित था। उनके नेतृत्व में कंपनी ने भारत और पश्चिम एशिया के बीच व्यापारिक पुल के रूप में काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे 20 अरब डॉलर का वैश्विक समूह बन गई। 1979 में उन्होंने हिंदुजा ग्रुप का मुख्यालय लंदन शिफ्ट किया। आज यह समूह भारत, यूके, यूरोप, अमेरिका और मिडिल ईस्ट में करीब 2 लाख लोगों को रोजगार देता है।
हिंदुजा परिवार की विरासत
गोपीचंद हिंदुजा न केवल एक सफल कारोबारी थे, बल्कि वैश्विक रणनीति, निवेश और कूटनीतिक नेटवर्किंग में भी माहिर माने जाते थे।उन्होंने भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनका जीवन “ट्रेड, ट्रस्ट और ट्रांसफॉर्मेशन” के सिद्धांतों पर आधारित था।हैं।
