द.चीन सागर में अमेरिका को चीन के खिलाफ मिला फ्रांस का साथ, परमाणु पनडुब्‍बी की तैनात

Saturday, Feb 13, 2021 - 01:49 PM (IST)

 हांगकांग/वाशिंगटनः दक्षिण चीन सागर में चीन को सबक सिखाने के लिए अमेरिका को अब फ्रांस का भी साथ मिल गया है। साऊथ चाइना सी में   बीजिंग के बढ़ते प्रभुत्‍व को चुनौती देने के लिए  फ्रांस ने अपनी  एक परमाणु पनडुब्‍बी को तैनात की  है।  फ्रांस के इस कदम को  अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन  के  उस आह्वान से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ प्रतिस्‍पर्धा चरम पर पहुंच चुकी है। बाइडेन ने इसके साथ यूरोप और एशिया में समान विचारधारा वाले सहयोगी देशों का आह्वान किया था। बाइडेन की इस अपील का असर यूरोपीय देशों पर पड़ा है। फ्रांस के इस कदम से दक्षिण चीन सागर में संघर्ष की आशंका तेज हो गई है।  दक्षिण चीन सागर में  इस नई टेंशन के बाद चीन की नई रणनीति को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। 

 

एशिया टाइम  की रिपोर्ट के अनुसार  फ्रांस के इस कदम के बाद यूरोप के अन्‍य देश भी ऐसा कदम उठा सकते हैं। इसमें कहा गया है कि यूनाइटेड किंगडम (यूके) और जर्मनी भी दक्षिण चीन सागर में अपने युद्धपोतों की तैनाती कर सकते हैं। एशिया टाइम ने बताया कि यहां अब यूरोपीय ताकतों की सक्रियता बढ़ने के पूरे आसार हैं। यूरोपीय देशों के इस कदम से दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की समुद्री महत्‍वाकांक्षाओं का बड़ा झटका लग सकता है। खास बात यह है कि दक्षिण चीन सागर में यूरोपीय शक्तियों की बढ़ती भागीदारी बाइडन प्रशासन की रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं।

 

बता दें कि फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पारली ने अपने एक ट्वीट में कहा था कि पेरिस का यह कदम अंतरराष्‍ट्रीय विधि के अनुरूप है और यह फ्रांसीसी नौसेना की क्षमता का भी प्रमाण है। उन्‍होंने कहा कि हमारी नौसेना लंबे समय तक ऑस्‍ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के रणनीतिक साझेदार हैं। रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पारली ने जोर देकर कहा कि फ्रांस की यह कार्रवाई एक व्‍यापक अंतरराष्‍ट्रीय प्रयास का हिस्‍सा है। यह वैधानिक है। इसका मकसद अंतरराष्‍ट्रीय कानून के तहत समुद्री सीमा की सुरक्षा करना है। हालांकि, उन्‍होंने अपने ट्वीट में कहीं भी चीन के खतरों का जिक्र नहीं किया।

 

 

Tanuja

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