5 लड़कियों को डांस करने की मौलवी ने दी एेसी सजा, जानकर दहल जाएगा दिल

Monday, Dec 19, 2016 - 11:41 AM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान में एक दिल दहला देने वाले मामले की जानकारी मिली है। हालांकि मामला 6 साल पुराना है, लेकिन कहानी किसी फिल्म से कम नहीं लगती। एक वीडियो क्लिप क्लिप सामने आया है जिसमें कुछ लड़कियां हंसती और संगीत पर ताली बजाती हुई नजर आती हैं। इस वीडियो में उन्होंने किसी पार्टी या शादी के लिए संतरी रंग के कपड़े पहने हुए हैं। इस वीडियो में कुछ आदमी भी उसी कमरे में अकेले नाचते दिख रहे हैं। सेलफोन से बनाया हुआ यह वीडियो पाकिस्तान के कोहिस्तान का है, जो देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से का एक बीहड़ इलाका है।

ये आखिरी बार था जब बाजीघा, सरीन जान, बेगम जान, अमीना और शाहीन नाम की इन लड़कियों को आखिरी बार देखा गया था। आशंका है कि सामाजिक बंदिशों और जड़ताओं के कारण स्थानीय नेताओं ने उनकी मौत के हुक्म दिए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक एेसे बीहड़ इलाकों में लड़कियों का इस तरह से लड़कों से मिलना और नाचना गलत समझा जाता है। किसी ने लड़कों के साथ पार्टी में नाचने का वह वीडियो इंटरनेट पर वायरल कर दिया, जिसके बाद लड़कियों के कबीले की बहुत बेइज्जती हुई थी।

कबीले की बेइज्जती करने के जुर्म में एक मुस्लिम मौलवी, जो कबीले का सरदार भी था, ने कथित तौर पर उन 5 लड़कियों की मौत का हुक्म दे दिया। लड़कियों को मारने के बाद वीडियो में नाच रहे लड़के के भाइयों को भी मार दिया गया। उनके परिवार को इसके बाद वह जगह छोड़नी पड़ी। पाकिस्तान में हर साल हॉरर किलिंग्स के नाम पर सैकड़ों लड़कियां मौत के घाट उतार दी जाती हैं, लेकिन इस मामले की छानबीन के दौरान मिली जानकारियां तो और हैरान करती हैं। मामले की छानबीन कर चुके लोगों और कोर्ट की सुनवाइयों से मिली जानकारी के मुताबिक परिवार ने लड़कियों पर गर्म पानी और कोयला फेंका। इसके बाद उनकी हत्या कर दी और कोहिस्तान हिल्स में ही उन्हें कहीं गाड़ दिया।

बाद में जब जांच टीम ने  पूछताछ कि तो स्थानीय नेताओं और परिवार ने कहा कि लड़कियां जिंदा हैं और ठीक वैसी ही लड़कियों को उनके आगे पेश कर दिया। हद तो तब हो गई जब परिवार के लोगों ने एक लड़की का अंगूठा ही काट दिया, ताकि सरकारी पहचान पत्र से भी उस लड़की की पहचान न हो सके।
लेकिन अब कुछ लोगों के प्रयासों से सच सामने आना शुरू हो गया है। इस मामले में मारे गए लड़कों के 26 वर्षीय भाई अफजल कोहिस्तानी ने सालों तक स्थानीय और प्रांतीय नेताओं से मदद मांगी। उन्होंने दो बाद सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी लगाई, लेकिन 2012 में केस को खारिज कर दिया गया। लेकिन पिछले महीने हाई कोर्ट ने अचानक ही मामले की जांच फिर से शुरू करने का हुक्म दे दिया, जिससे कई चौंकाने वाले राज सामने आए।

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