दुनिया के सबसे खुशहाल देश में आम चुनाव के लिए मतदान शुरू
Sunday, Apr 14, 2019 - 02:10 PM (IST)
इंटरनैशनल डैस्कः चुनावों को लेकर साल 2019 कुछ खास है क्योंकि भारत समेत कुल 43 देशों इस साल चुनाव होने जा रहे हैं। इनमें भारत जहां पूरे विश्व में मतदाताओं की संख्या को लेकर पहले नंबर हैवहीं फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना जाता है। भारत में पहले चरण के चुनाव हो चुके हैं और यूरोपीय देश फिनलैंड में रविवार को आम चुनावों के लिए मतदान हुआ। चुनावों में मध्यवादी-दक्षिणपंथी सरकार के सत्ता से बेदखल होने और धुर दक्षिणपंथी पार्टी के काफी बढ़त हासिल करने की उम्मीद है। कट्टरपंथी एमईपी जुस्सी हल्ला-अहो के नेतृत्व वाली घोर दक्षिणपंथी फिन्स पार्टी को हाल ही के महीनों में अपने प्रवासी रोधी अभियान के दौरान काफी समर्थन मिला था।
In the remote, northern Finnish town of Oulu where he has lived for seven years, Syrian-born Jabo Waleed recently started feeling that some people's behaviour towards him was becoming less welcoming https://t.co/MDCL0Pn0A2
— AFP news agency (@AFP) April 13, 2019
ये है चुनाव प्रक्रिया
फिनलैंड के सांसदों का चुनाव हर चार साल में एक बार होता है। संसदीय चुनावों के लिए देश को चुनावी जिलों में बांटा गया है। हर चुनावी जिले से कुछ संसदीय सदस्यों को चुना जाता है। एक चुनावी जिले से कितने संसदीय सदस्य चुने जाएंगे यह जिले की जनसंख्या पर निर्भर करता है।संसद के लिए कुल 200 सदस्य चुने जाते हैं। संसद में 101 सदस्यों का गठबंधन सरकार बना सकता है। पिछले महीने ही फिनलैंड की सरकार ने बड़े सामाजिक और स्वास्थ्य सुधार के मुद्दे पर सहमति न होने के कारण अपना इस्तीफा दिया था। अब वर्तमान सरकार नई सरकार के आने तक बनी रहेगी और केवल केयरटेकर की भूमिका ही निभाएगी।
ये है स्थिति
इस बार के चुनाव में विपक्षी पार्टी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसडीपी) के जीतने की संभावना बताई जा रही है।उम्मीद की जा रही है कि वह वर्तमान में सबसे बड़ी पार्टी केंद्रीय पार्टी को पीछे छोड़ देगी। इसके बाद राष्ट्रीय फिन्स पार्टी को दूसरा स्थान मिलने की उम्मीद हैं जिसके बाद राष्ट्रीय गठबंधन पार्टी (एनसीपी) का स्थान आने की उम्मीद है।
इस बार के चुनावी मुद्दे
इस बार चुनावी मुद्दें में जलवायु परिवर्तन भी एक प्रमुख मुद्दा बन रहा है। जलवायु परिवर्तन का मुद्दा तब और गरमा गया जब आईपीसीसी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि दुनिया के पास जलवायु संकट की आपदा से बचने के लिए केवल 12 साल बचे हैं। आर्किटिक वृत पर स्थित फिनलैंड के लिए जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्किटक क्षेत्र में बर्फ के ज्यादा पिघलने से फिनलैंड जैसे देश ज्यादा प्रभावित हैं जिससे फिनलैंड के लोगों ने वायुप्रदूषण एक गंभीर समस्या के तौर पर लिया है। इसके अलावा यहां के लोग शिक्षित होने के साथ ही जागरुक भी हैं। इसके लिए यहां 2029 तक कोयले का उपयोग पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया गया था।
बूढ़ी होती आबादी बनी समस्या
इसके अलावा बूढ़ी होती आबादी की वजह से स्वास्थ्य और लोककल्याणकारी सुधार भी प्रमुख मुद्दा है। फिनलैंड इन्हीं सेवाओं के बलबूते पर दुनिया का सबसे खुशहाल देश रहा है। अब बूढ़ी होती आबादी की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ता जा रहा है जिसकी वजह से उन्हें सुधार की जरूरत है। देश की राजनैतिक पार्टियों में इन सुधारों के लेकर सरकार की भूमिका को लेकर ही मतभेद है।