पकड़ा गया सनकी किंग का झूठ, सोशल मीडिया पर खूब उड़ रहा मजाक

Tuesday, Apr 18, 2017 - 05:54 PM (IST)

प्योंगयांगः नॉर्थ कोरिया ने शनिवार को अपने संस्थापक किम इल-सुंग की 105वीं वर्षगांठ मनाई। कैपिटल सिटी प्योंगयांग में आर्मी परेड निकाली गई, जिसमें नए हथियार भी दिखाई दिए। तानाशाह किम जोंग-उन ने इस बार विदेशी मीडिया को भी कवरेज के लिए इनवाइट किया था, जिससे कि वे दुनिया को अपनी ताकत दिखा सकें। हालांकि, उनका यह दांव उलटा पड़ गया क्योंकि फोटोज देखते ही एक्सपर्ट्स ने नई मिसाइलों की असलियत पकड़ ली। 

आर्मी परेड के दौरान नॉर्थ कोरियाई आर्मी ने अपनी नई मिसाइलों, रॉकेट और टैंकों का भी प्रदर्शन किया। परेड में कुछ ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलें भी थीं, जिनके बारे में दावा किया गया है कि इनकी रेंज 10 हजार किमी तक है।   हालांकि, बीबीसी के फोटोग्राफर की कुछ फोटोज के जारी होते ही मिसाइलों की असलियत भी इनमें से एक मिसाइल की नोज (अगला हिस्सा) टेढ़ा था। साफ है कि इसे जोड़-तोड़कर बनाने की कोशिश की गई थी, जिससे सटीक निशाना लगाया ही नहीं जा सकता। 
साउथ कोरियाई और जापानी मीडिया में इन मिसाइलों का जमकर मजाक उड़ा।

देखते ही देखते फोटोज वायरल हो गईं और सोशल मीडिया में ट्वीट की बाढ़ सी आ गई। नॉर्थ कोरिया के सरकारी मीडिया ने इन मिसाइल के बारे में दावा किया है कि इसकी रेंज अमेरिका तक है।  ठीक इसके उलट साउथ कोरिया के वेपंस एक्सपर्ट का दावा है कि नॉर्थ कोरिया की किसी भी मिसाइल की रेंज 1000 किमी तक भी नहीं है और न ही इस तरह की किसी मिसाइल का टेस्ट सफल हुआ है।  बता दें कि अमेरिका की धमकी को दरकिनार करते हुए शनिवार को नॉर्थ कोरिया में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का टेस्ट किया गया था, लेकिन यह फेल रहा। मिसाइल लॉन्च करते ही उसमें विस्फोट हो गया था।  

इस बैलिस्टिक मिसाइल का प्रदर्शन 26 जुलाई 2013 को किया गया था, जिसकी पोल अमरीका के स्पेस एंड मिसाइल एक्सपर्ट जेम्स ऑबर्ग ने खोल दी थी। ऑबर्ग ने बताया था कि मिसाइल में एक पट्टी दिखाई दे रही है, जिसके जरिए मिसाइल के 2  टुकड़ों को जोड़ा गया है। जबकि बैलिस्टिक मिसाइलों में ज्वाइंट नहीं होता।एक जारी फोटो में बैलिस्टिक मिसाइल का प्रदर्शन 26 जुलाई 2013 को किया गया था, जिसकी पोल अमरीका के स्पेस एंड मिसाइल एक्सपर्ट जेम्स ऑबर्ग ने खोल दी थी।

ऑबर्ग ने बताया था कि मिसाइल में एक पट्टी दिखाई दे रही है, जिसके जरिए मिसाइल के 2  टुकड़ों को जोड़ा गया है। जबकि बैलिस्टिक मिसाइलों में ज्वाइंट नहीं होता। अमरीका के स्पेस एंड मिसाइल एक्सपर्ट जेम्स ऑबर्ग के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया ने  एक अन्य  मिसाइल की फोटोज 2014 में जारी की थीं। दावा किया गया था कि इसकी रेंज 3 हजार किमी तक है। जब मिसाइल की बारीकी से जांच की गई तो पाया गया कि इसका टॉप सैक्शन ही डैमेज था।

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