जिम्बाब्वे में चेचक के कारण 157 बच्चों की मौत
Wednesday, Aug 17, 2022 - 01:37 PM (IST)
जिम्बाब्वे में चेचक के संक्रमण की वजह से कम से कम 157 बच्चों की मौत हो गई है. सरकार का कहना है कि देश भर में 2,000 से ज्यादा लोगों में चेचक का संक्रमण फैलने की जानकारी मिली है.मंगलवार को जिम्बाब्वे की सरकार ने बताया कि पूरे देश में चेचक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. दक्षिण अफ्रीकी देश में अधिकारियों के मुताबिक चेचक का पहला मामला इसी महीने सामने आया था जबकि इसकी वजह से मरने वालों की संख्या एक हफ्ते से भी कम समय में दोगुनी हो गई है.
कैबिनेट की साप्ताहिक बैठक के बाद सूचना मंत्री मोनिका मुत्सवांगवा ने पत्रकारों से कहा, "14 अगस्त तक पूरे देश में कुल संख्या 2,056 तक पहुंच गई और मौत 157."
"पीड़ितों को टीका नहीं लगा था"
ज्यादातर मामलों में 6 महीने से 15 महीने के बच्चे इसकी चपेट में आए हैं. इनमें ज्यादातर लोग उस समुदाय के हैं जो टीकाकरण में यकीन नहीं रखता है.
मुत्सवांगवा का कहना है कि सरकार टीकाकरण को तेज करने जा रही है और इसके लिए खास विधेयक लाया गया है ताकि "आपाताकाल से निबटने के लिए" राष्ट्रीय आपदा कोष से पैसे निकालने की अनुमति मिल जाए.
मुत्सवांगवा ने यह भी कहा कि सारे पीड़ितों को टीका नहीं लगा था. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सारे पारंपरिक और धार्मिक नेताओं को भी टीकाकरण के अभियान में मदद के लिए शामिल कर रही है. इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस रोग के फैलने के लिए चर्च समुदाय के कार्यक्रमों को दोषी ठहराया था.
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बच्चे बनते हैं शिकार
चेचक का वायरस मुख्य रूप से बच्चों को अपनी चपेट में लेता है. गंभीर मामलों में यह अंधापन, दिमाग में सूजन, डायरिया और सांस से जुड़ी बड़ी समस्यायें पैदा कर सकता है. आमतौर पर इसके संक्रमण के बाद चेहरे पर छोटे छोटे लाल दाने निकल आते हैं जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं. इसके साथ अक्सर बुखार भी होता है. चेचक की बीमारी कभी पूरी दुनिया में बहुत आम थी लेकिन अब टीके के जरिए इस पर नियंत्रण कर लिया गया है.
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इसी साल अप्रैल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि अफ्रीका में बच्चों को टीका लगाने में देरी की वजह से बड़े पैमाने पर ऐसी बीमारियों के फैलने का खतरा है जिन्हें रोका जा सकता है. चेचक के मामलों में करीब 400 प्रतिशत का उछाल आने की आशंका जताई गई थी.
जिम्बाब्वे का स्वास्थ्य विभाग पहले से ही हड़ताल और दवाइयों की कमी से जूझ रहा है. अब इस नई समस्या के कारण उस पर और ज्यादा दबाव बढ़ेगा.
एनआर/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे DW फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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