नेल्सन मंडेला के जन्म दिन पर उनके डाक्टर ने किए अहम खुलासे

Tuesday, Jul 18, 2017 - 04:35 PM (IST)

जोहानिसबर्गः दक्षिण अफ्रीका के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का आज जन्मदिन है। रंगभेद के खिलाफ बड़ी लड़ाई लडने वाले दक्षिणी अफ्रीका के फादर ऑफ नेशन नेल्सन मंडेला दुनिया के बेहतरीन राजनेताओं में गिने जाते थे। उन्होंने अफ्रीका में रंगभेदी सरकार की बजाए लोकतांत्रिक सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया और इसके लिए  27 सालों तक जेल में जीवन बिताया। तमाम यातनाओं और पीड़ाओं के बाद भी उनके अंदर का एक खुशमिज़ाज शख्स कभी नहीं बदला।

सोमवार को जोहानिसबर्ग में उनके डॉक्टर रहे विजयनंद रामलाकन ने अपनी किताब 'क्रॉनिक्लिंग मंडेला लास्ट ईयर' में उनके अंतिम समय की कई घटनाओं का जिक्र किया है। रामलाकन 2013 में पूर्व राष्ट्रपति के निधन तक उनके डॉक्टर थे। इस किताब को आज उनके जन्मदिन (मंडेला डे) से एक दिन पहले रिलीज किया गया। मंडेला का जन्म 1918 में केप ऑफ साउथ अफ्रीका के पूर्वी हिस्से के एक छोटे से गांव के थेंबू समुदाय में हुआ था। उन्हें अकसर उनके कबीले ‘मदीबा’ के नाम से बुलाया जाता था।मंडेला का मूल नाम रोलिहलाहला दलिभुंगा था. उनके स्कूल में एक शिक्षक ने उन्हें उनका अंग्रेजी नाम नेल्सन दिया। मंडेला नौ साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया।उनके पिता थेंबू के शाही परिवार के सलाहकार थे।

इस किताब में रामलाकन ने लिखा है कि 2013 में जब मंडेला को जोहानिसबर्ग स्थित उनके आवास से प्रोटेरिया के एक स्पेशलिस्ट हार्ट अस्पताल ले जाया जा रहा था, तब रामलाकन उनके साथ थे। मंडेला को ले जा रही एंबुलेंस से अचानक धुआं निकलने ला।  समय उनकी एंबुलेंस में आग लग गई थी, लेकिन मंडेला के साथ चल रहे डॉक्टरों के दल ने बिना डरे मरीज को नुकसान नहीं पहुंचने दिया और 30 मिनट में ही उन्हें साथ में चल रही दूसरी एंबुलेंस में ट्रांसफर कर दिया गया।

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभा कर दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेल्सन मंडेला ने न सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था। अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटने मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे जिससे देश पर अब तक चले आ रहे अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उद्भव हुआ।

मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, विशेषकर वकालत के दिनों में दक्षिण अफ्रीका के उनके आंदोलनों से प्रेरित थे। मंडेला ने भी हिंसा पर आधारित रंगभेदी शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से संघर्ष किया। 95 वर्षीय मंडेला का भारत में बहुत सम्मान है। 1990 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। मंडेला फेफड़ों के संक्रमण से ग्रस्त थे और लंबी बीमारी के बाद   5 दिसंबर 2013 में उनका निधन हो गया।

 उन्हें 1993 में नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सत्य और अहिंसा’ के लिए गांधी की हमेशा प्रशंसा करने वाले मंडेला ने 1993 में दक्षिण अफ्रीका में गांधी स्मारक का अनावरण करते हुए कहा था, ‘‘गांधी हमारे इतिहास का अभिन्न हिस्सा हैं क्योंकि उन्होंने यहीं सबसे पहले सत्य के साथ प्रयोग किया, यहीं उन्होंने न्याय के लिए अपनी दृढ़ता जताई, यहीं उन्होंने एक दर्शन एवं संघर्ष के तरीके के रूप में सत्याग्रह का विकास किया।’’

मंडेला ने कहा, ‘‘गांधी का सबसे ज्यादा आदर अहिंसा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए किया जाता है और कांग्रेस (अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस) का आंदोलन गांधीवादी दर्शन से बहुत ज्यादा प्रभावित था, इसी दर्शन ने 1952 के अवज्ञा अभियान के दौरान लाखों दक्षिण अफ्रीकियों को एकजुट करने में मदद की. इस अभियान ने ही एएनसी को लाखों जनता से जुड़े एक संगठन के तौर पर स्थापित किया।’’

 

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