शोधः शुगर से फेफड़ों की खतरनाक बीमारियों का ज्यादा खतरा

Sunday, Jul 15, 2018 - 04:35 PM (IST)

मेलबर्नः दुनिया में शुगर  रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। दुनियाभर में प्रत्येक 11 वयस्क में से एक वयस्क शुगर (डायबिटीज) रोग से पीड़ित है। इस बीमारी की वजह से दिल का दौरा पड़ना, स्ट्रोक, अंधापन और किडनी फेल होने का हमेशा डर बना रहता है। वैज्ञानिकों द्वारा किए शोध मे पता चला है कि टाइप 1 डायबिटीज मरीज में  इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगते हैं। इसका सीधा असर शरीर की इंसुलिन फैक्ट्री (बेटा-सेल) पर होता है जिस वजह से शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित करने के लिए हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाता। वहीं टाइप 2 के मधुमेह का कारण आमतौर पर गलत जीवनशैली होता है जिसमें शरीर में फैट बढ़ने लगता है और वह इंसुलिन पर असर दिखाता है।

इसमें भी टाइप-2 डायबिटीज ज्यादा खतरनाक होता है। टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में रिस्ट्रिक्टिव लंग डिसीज (आरएलडी) विकसित होने का जोखिम ज्यादा होता है। जर्मनी के हेडेलबर्ग हॉस्पिटल यूनिवर्सिटी के स्टीफन कोफ ने कहा कि सांस फूलने जैसी फेफड़े से जुड़ी समस्या का टाइप 2 डायबिटीज से कनेक्शन है जो कि रिस्ट्रिक्टिव लंग डिसीज के कारण होती है। फेफड़े की बीमारी पैदा करने में ये टाइप 2 डायबिटीज का बड़ा रोल हो सकता है।

जानवरों पर किए गए पहले के निष्कर्षो में भी रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी व डायबिटीज के बीच संबंध का पता चला था। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर पी. नवरोथ ने अपने शोध में पुष्टि की है कि फेफड़े की समस्या होने पर एल्बूमिन्यूरिया नाम की समस्या होती है। एल्ब्यूमिन्यूरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेशाब का एल्ब्यूमिन स्तर बढ़ जाता है। यह फेफड़े की बीमारी व किडनी की बीमारी के जुड़े होने का संकेत हो सकता है। इस शोध में टाइप-2 डायबिटीज वाले 110 मरीजों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया जिसमें 29 मरीजों में हाल में टाइप-2 डायबिटीज का पता चला था। 68 मरीज ऐसे थे, जिन्हें पहले से डायबिटीज था व 48 मरीजों को डायबिटीज नहीं था।

Tanuja

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