हसीनाओं की इस आर्मी का दुनिया मानती है लोहा

Tuesday, Dec 26, 2017 - 05:07 PM (IST)

तेहरान: हाल ही में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यरुशलम को इस्राइल की राजधानी घोषित करने के बाद से ही फिलीस्तीन में बवाल मचा हुआ है। भारत समेत 128 देशों ने यूनाइटिड नेशंस जनरल असेंबली (UNGA) में यरूशलम को इस्राइल की राजधानी घोषित करने के फैसले का विरोध किया है । हालांकि, इस्राइल और फिलीस्तीन के बीच विवाद और हिंसा का दौर नया नहीं है। दोनों ही देश पिछले 69 सालों से दुश्मनी की आग में जल रहे हैं। इस्राइल अब तक ईरान, ईराक, सीरिया, यमन, सऊदी अरब, जॉर्डन जैसे खाड़ी देशों से कई जंग लड़ चुका है।

इस्राइल दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां हर घर से एक व्यक्ति को आर्मी ज्वॉइन करना जरूरी है। फिर चाहे वह मेल हो या फीमेल। 2016 की गिनती के अनुसार इस्राइल की आबादी तकरीबन 86 लाख  के करीब है। 2016 की गिनती मुताबिक, देश में सोल्जर्स की संख्या 31 लाख के करीब है। इसमें  पुरुषों की संख्या 1,554,186 है। वहीं, महिला सैनिकों की संख्या 1,514,063 है। 

इस तरह 2016 की गिनती के अनुसार दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां सेना में पुरुषों और महिलाओं की संख्या बराबर है। और यह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां सोल्जर्स की संख्या के हिसाब से आर्मी में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है।  वहीं, आर्मी ट्रेनिंग में भी महिलाओं-पुरुषों में कोई अंतर नहीं रखा गया। महिलाओं को आर्मी में भर्ती करने का सिलसिला 1948 में अरब देशों-इस्राइल युद्ध से शुरू हुआ।

पुरुषों की संख्या कम होने के चलते इस दौरान करीब 20 हजार महिलाओं को आर्मी में भर्ती किया गया। इस जंग में इस्राइल अकेला था और दूसरी तरफ जॉर्डन, लेबनान, इजिप्त, सीरिया और यमन और सऊदी अरब जैसे देश थे। इस भयानक जंग में जब इस्राइल में सेना की कमी होने लगी तो सरकार ने महिलाओं को भी आर्मी ज्वॉइन करने का एेलान किया। वहीं, महिलाओं ने भी ऐसी हिम्मत दिखाई दी कि इस्राइल का लोहा पूरी दुनिया ने मान लिया।

इसके बाद सेना में महिलाओं की संख्या बढ़ती चली गई। पड़ोसी मुल्क फिलीस्तीन से आतंकी वारदातों के चलते फीमेल सोल्जर्स को भी हमेशा सतर्क रहना होता है। यहां फीमेल सोल्जर्स बिना आर्मी ड्रेस के भी लाईसैंसी हथियार अपने साथ रख सकती हैं।  इसी के चलते बीच से लेकर पार्टियों तक में फीमेल सोल्जर्स को हथियारों से लैस देखा जा सकता है। यहां लड़कियों को भी स्कूली दिनों से ही आर्मी ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी जाती है, जिससे कि वे खुद ही दुश्मन से निपट सकें।
 

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