यहां पितरों के मोक्ष के लिए जलाए जाते हैं नोट

punjabkesari.in Tuesday, Sep 26, 2017 - 05:11 PM (IST)

बीजिंगः परिजनों की मृत्यु के बाद परलोक में उन्हें कोई परेशानी न हो एवं उनकी कृपा हमेशा बनी रहे, इसके लिए  भारत में जहां पितरों की आत्मा की शांति के लिए 15 दिनों का श्राद्ध पक्ष मना  पिंडदान, तर्पण, अर्पण किया  जाता है, वहीं, विदेशों में भी मृत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए कई तरह के आयोजन किए जाते हैं।

पड़ोसी देश चीन और ताइवान के कुछ हिस्सों में भी पितरों के मोक्ष के लिए नोट जलाने की परंपरा है। माना जाता है कि इससे परिजनों का नया जन्म बिना किसी परेशानी के होगा। परिजनों को खुश देखने के लिए यहां के लोग उनकी मौत के बाद यह काम करते हैं। हालांकि, ये नोट नकली होते हैं, जिन्हें घोस्ट मनी कहते हैं और ये जॉस पेपर या खुरदरे बांस से बने होते हैं।

आमतौर पर इनका रंग सफेद होता है, जो मृत स्वजन के प्रति संवेदना को दर्शाते हैं। इनके बीच में सोने या चांदी जैसे एक वर्गाकार फ्वॉयल चिपकाई जाती है और इसे धन-दौलत का सूचक माना गया है। घोस्ट मनी को आदर के साथ मिट्टी के बर्तन या किसी चिमनी में जलाया जाता है। एशिया में घोस्ट मनी की परम्परा करीब 1,000 वर्ष पुरानी है। जॉस पेपर को जलाने से वायु प्रदूषण होता है, लिहाजा पर्यावरण को बचाने की वकालत करने वाले इस परंपरा को बंद करने की मांग कर रहे हैं।


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