चीन के राष्ट्रपति का आजीवन बने रहना, भारत-चीन के लिए बनेगा बाधा

Thursday, Mar 15, 2018 - 02:05 PM (IST)

पेइचिंगः चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के आजीवन राष्ट्रपति बने रहने के लिए रास्ता साफ होना भारत के लिहाज से अच्छा नहीं है। एक्सपर्ट्स की माने तो चिनफिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड पहल (BRI) भारत के साथ चीन के संबंधों में बड़ी बाधा बन सकता है। BRI अरबों-खरब डॉलर की योजना है जिसे चिनफिंग ने साल 2013 में उस समय लॉन्च किया था जब वह सत्ता में आए थे। BRI में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भी शामिल है, जिसका भारत विरोध करता है क्योंकि यह प्रॉजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है।

भारत ने बीते साल चीन द्वारा आयोजित बेल्ट ऐंड रोड फोरम का भी बहिष्कार किया था। चीन के प्रभाव को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए रोड, पोर्ट और रेल नेटवर्क बिछाने के मकसद से BRI की शुरुआत की गई थी। 11 मार्च को चीन की नैशनल पीपल्स कांग्रेस द्वारा राष्ट्रपति के लिए 2 कार्यकाल की समयसीमा खत्म करने के बाद अब ऐसा माना जा रहा है कि शी इस पहल पर और जोर दे सकते हैं।ऑफिशल चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ कॉन्टेम्पररी इंटरनैशनल रिलेशंस के डायरेक्टर हू शिशेंग ने बताया, 'दोनों देशों की तरफ से संबंधों को सुधारने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं और चीन के लिए इस क्षेत्र में भारत के साथ संबंधों का बहुत महत्व है।'

हू ने कहा, 'दोनों देशों को डोकलाम के अलावा जैश सरगना मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने, न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की एंट्री जैसे मुद्दों पर मतभेदों को दूर करना है, ऐसे में उन्हें BRI को लेकर मौजूद मतभेदों को दूर करने के लिए कुछ समाधान खोजना चाहिए।' हू ने कहा, 'अब शी का लंबे समय तक राष्ट्रपति रहना तय है और वह BRI को बेहद गंभीरता से लेंगे, क्योंकि यह उनका प्रॉजेक्ट है। चीन लगातार यह कहता है आ रहा है कि BRI का कश्मीर को लेकर उसके रुख पर कोई असर नहीं पड़ेगा और इस मुद्दे को भारत-पाकिस्तान को सुलझाना चाहिए। चीन ने भारत की आपत्तियों को दूर करने के लिए CPEC का नाम बदलने तक का प्रस्ताव दिया है।' 
 

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